Rajasthani Prem Geet – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित प्रेम गीत ‘संझा देखो फूल रहीं है’
‘प्रेम गीत’
‘संझा देखो फूल रहीं है’
संझा देखो फूल रहीं है,
चंदन जैसी महक रहीं है|
फलक के आनन की खुशी यूं,
लालिमा में झलक रहीं है|
संझा…..महक रहीं है|1|
सांझ सुहानी परी – सी लगती|
लबों की लाली खीली – सी लगती|
बादल – बाल बिखेर बिखेर के,
यौवन में वो चहक रहीं है|
संझा…..महक रहीं है|2|
सूर्य की किरणें घर जा बैठीं|
सांझ भी मदिरालय जा बैठी|
नीला ताल मधु का प्याला,
पी कर संध्या बहक रहीं हैं|
संझा…..महक रहीं है|3|
नभ को भी अब प्रेम हुआ है|
संध्या का दीवाना हुआ है|
प्रेम अगन में गगन की सांसें,
अंगारे – सी धधक रहीं है|
संझा…..महक रहीं है|4|
सांझ भी अब सीमट गई है|
आसमान से लीपट गई है|
व्योम की बाहों में जा कर के,
इश्क़ में वो ठुमक रहीं है|
संझा………. महक रहीं है|5|
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
राजसमंद
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित रचनाएं-
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- सूर्य की दिशा बदलने लगी हैं
- प्रेम गीत – ‘संझा देखो फूल रहीं है’
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