कवि की करुण पुकार – आचार्य डॉ अजय दीक्षित
कवि की करुण पुकार
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चितचोर नयन, चंचल चितवन, चित में चित्रित, तेरा मुस्काना।
मनमोहन, माधव,मुरलीधर,मन मोह न मन में बस जाना।।
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1- विरह वेदना बालेपन की वनवारी बरबस करती।
मिलने की मन आस जगी है शुशमित छवि शुशमा भरती।।
गोविन्दम् गोपाल गिरधारी आ जाओ फिर न जाना।
मनमोहन माधव मुरलीधर मन मोह न मन में बस जाना
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2- मायापति तेरी ये माया मन के सुमन खिलाती है।
जब से तेरा भक्त बना हूं भक्ती का रस पिलाती है।
अंटकाती है भटकाती है पर शाश्वत है ये जाना।
मनमोहन माधव मुरलीधर,मन मोह न मन में बस जाना।।
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3-नटवर नटनागर नंद लला नव निखरित रुप है नैनन में।
पावन पवित्र प्रेम धारा बहती है सदा तेरे बयनन् में।।
हे करुणाकर करुणा कर दो हो सफल अजय भू पर आना।
मनमोहन माधव मुरलीधर मन मोह न मन में बस जाना।।
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- अजय दीक्षित शायरी
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