Bhai Bina Tumhare In Hindi
उड़ान से पहले Udaan Se Pahle
भाई बिना तुम्हारे Bhai Bina Tumhare
दिखे नहीं पर फूल खिला हो जैसे सिरहाने
भाई बिना तुम्हारे कैसे लगता है जाने ?
मूछें बेतरतीब,
सलीका लेकिन जीवन में
बारिश बीच धुप होते थे
तुम ही सावन में
‘अलबम’ का हर चित्र तुम्हारा हमको पहचाने
जेठ दुपहरी गुलमोहर थे
खुलकर खिलते थे
अपने को उड़ेल देते थे
जिससे मिलते थे
याद तुम्हारी, सुने घर में गाती है गाने
तुम थे बांह की बीच सफर में
कैसे टूटे हो ?
आग हुआ सा सच तुम ही थे
तुम ही झूठे हो
तुम थे खुद ही जश्न की खुशियों के माने
छोटे भाई में तस्वीर तुम्हारी हिलती है
हैरत में शीशा है, शक्ल
हमारी मिलती है
हैरत का हर भाव लगा है चोटे सहलाने
यश मालवीय
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यह रचना यश मालवीय द्वारा रचित पुस्तक उड़ान से पहले से ली गई है यह रचना यश मालवीय के द्वारा अपने भाई वसु मालवीय को समर्पित है।
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