रख्खो उम्मीद दिल के कोने में
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रख्खो उम्मीद दिल के कोने में ।
वक्त मत खो ये वंदे रोने मैं ।।
— १ —
ऐसे, रिश्तों को तोड न जालिम ।
जन्म बीते कई संजोने में ।।
— २ —
जला दी तूने फसल पर ये नही सोचा ।
वक्त कितना लगा था बोने में ।।
— ३ —
तोड मत मोतियों की माला को ।
वर्ष बीते कई पिरोने में ।।
–४ —
संजोये उम्र भर जो हैं सपने।
बेच उनको न ओने – पोने में ।।
— ५ —
अगर पाने की चाह है कुछ तो ।
फिर गिला क्यूँ है तुझे खोने में ।।
— ६ —
रख बचा कर तू दाग से दामन ll
पीढियां बीत जातीं धोने में ।।
— ७ —
हैं “अजय” लगते मात्र पल दो पल।
सुनो राजा को रंक होने में ।।
रख्खो उम्मीद दिल के कोने मे।
वक्त मत खो ये बंदे रोने मै ।।
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आचार्य डा.अजय दीक्षित
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