Adam Gondvi
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Bhukhmari ki jad mein hai ya daar ke saaye mein hai
Bhukhmari ki jad mein hai ya daar ke saaye mein hai
Ahale hindustan ab talwaar ke saaye mein hai
Chha gai hai zehan ki parto.n par maayoosi ki dhoop
Aadmi girti hui deewar ke saaye mein hai
Bebasi ka ik samndar dur tak faila hua
Aur kashti kaagazi patwaar ke saaye mein hai
Ham faqiro.n ki na poochho mutmayin wo bhi nahi
Jo tumhari gesue khamdaar ke saaye mein hai
Adam Gondvi
<—–Jo ulajh kar rah gai hai faailon ke jaal mein Jism kya hai rooh tak sab kuchh khulaasa dekhiye—->
Collection of Adam Gondvi Poetry and Ghazals
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भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है
भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है
अहले हिन्दुस्तान अब तलवार के साये में है
छा गई है जेहन की परतों पर मायूसी की धूप
आदमी गिरती हुई दीवार के साये में है
बेबसी का इक समंदर दूर तक फैला हुआ
और कश्ती कागजी पतवार के साये में है
हम फकीरों की न पूछो मुतमईन वो भी नहीं
जो तुम्हारी गेसुए खमदार के साये में है
अदम गोंडवी
<—–जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिये—->
अदम गोंडवी की कविताओ और ग़ज़लों का संग्रह
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Nikhil Bagul says
भूखमारी से हिंदुस्थान का वर्तमान अंधेरे में हे
मरता बेबस किसान फासी के फंदे के साये में हे
भूखे प्यासे बच्चों के देख घुटती माँ लाचारी की छाव में हे
मरता किसान उठता नहीं
उड़ता प्रधान देखता नहीं
युवा आज रोजगार न हे तो निराशा की आगोष में
बड़ा प्रधान उद्दोगपतियो की सेवा में
देख भगवान हिंदुस्थान का भविष्य किन हाथों में हे
रोज हो रही भारत माता की जय गान..
पर फिर भी भारत माता का लाल क्यों परेशान..
हम भारतीय हे
फिर भी भारत कहा हे
जो देश संपन्न हे फिर आम आदमी के पास उत्पन्न क्यौं नहीं..