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Justuju jiski thi usko to na paya hum ne
Justuju jiski thi usko to na paya hum ne
Is bahane se magar dekh li duniya hum ne
Tujh ko ruswa na kiya khud bhi pasheman na hue
Ishq ki rasm ko is tarah nibhaya hum ne
Kab mili thi kaha bichhadi thi hume yaad nahi
Zindgi tujh ko to bas khwaab me dekha humne
Ae ada aur sunaye bhi to kya haal apna
Umar ka lamba safar tay kiya tanha hum ne
Shahryar
<—— Hum padh rahe the khwaab ke purjon ko jod ke Seene mein jalan aankhon mein toofan sa kyun hai —–>
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शहरयार कि एक बेहद उम्दा ग़ज़ल जिसे की फ़िल्म उमराव जान मे रेखा पर फिल्माया था , आवाज़ थी आशा की और संगीत था ख्याम का।
जुस्तुजू जिसकी थी उसको तो न पाया हम ने
जुस्तुजू जिसकी थी उसको तो न पाया हम ने
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने
तुझ को रुसवा न किया ख़ुद भी पशेमां न हुए
इश्क़ की रस्म को इस तरह निभाया हम ने
कब मिली थी कहाँ बिछड़ी थी हमें याद नहीं
जिंदगी तुझ को तो बस ख्वाब में देखा हम ने
ऐ अदा और सुनाये भी तो क्या हाल अपना
उम्र का लंबा सफर तय किया तन्हा हम ने
शहरयार
<—— हम पढ़ रहे थे ख्वाब के पुर्जों को जोड़ के सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है —–>
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