Radha Ashtami Poem In Hindi | Hindi Poem On Radha Krishna | Radha Krishna Par Kavita
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राधा त्याग की राह चली तो,
हर पथ फूल बिछा गया कृष्णा।
राधा ने प्रेम की आन रखी तो,
प्रेम का मान बढ़ा गया कृष्णा॥
कृष्णा के मन भा गई राधा,
राधा के मन समा गया कृष्णा।
कृष्णा को कृष्णा बना गई राधा,
राधा को राधा बना गया कृष्णा॥
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जो राधा से किया कृष्ण ने
जो कृष्ण को मिला राधा से
जब गोकुल छोड़ रहा था कन्हैया
तो राधा ने न रोका
न टोका
और न ही पूछा कि
फिर कब मिलोगे?
न कृष्ण ने दी दिलासा!
राधा की आँखों में
देख लिया होगा प्यार
और राधा ने सुन ली होगी
कान्हा के दिल के सागर से निकली
बांसुरी की वो धुन
फिर बिछड़े तो न मिले..
और अमर हो गया
राधा कृष्ण का
वो निश्छल प्रेम
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मन के तार तुझी से बाँधे
जीवन के अंतिम पल तक हम अलग न होंगे, राधे!’
वेणु बजाता वंशीवट पर
फिरता हूँ नित यमुना-तट पर
तुझे देखता हूँ पनघट पर
नयन खोलकर आधे
जीवन के अंतिम पल तक हम अलग न होंगे, राधे!
फिर-फिर वृन्दावन में आके
रँग देता हूँ तिरछे-बाँके
प्रिये हमारी प्रेम-कथा के
पृष्ठ रहे जो सादे’
जीवन के अंतिम पल तक हम अलग न होंगे, राधे!
साज भिन्न हो समय-समय का
राग न छूट सका नव वय का
सुर अब भी है वही हृदय का
लाख जोग-जप साधे
जीवन के अंतिम पल तक हम अलग न होंगे, राधे!
मन के तार तुझी से बाँधे
जीवन के अंतिम पल तक हम अलग न होंगे, राधे!
दिल मे समां गया कोई रूह पे छा गया कोई
हाय आप ही आप रह गया मुझ को मिटा गया कोई !!
मै और मेरा यार एक ही बस्ती मे बसते थे
गज़ब की बात है के दर्शन को तरसते थे !!
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फिर से कोई राधा होती, फिर से कोई कृष्ण होता
फिर से धैर्य समीक्षा होती फिर से कोई मृत भाव संकीर्ण होती
फिर से कोई योग होता फिर से कोई जोग होता
फिर से निधिवन संजोग होता फिर से कोई कनुप्रिया अवतीर्ण होती
फिर से प्रेम दूत पवन बनता फिर से वो बात होता
फिर से कोई अनिमित्त प्रतीक्षा होती फिर से विश्वास वो प्रगाढ़ होता
फिर से युग होता वो फिर से भाव संचार होता
“फिर से अनुपमा नयी होती फिर से प्रकृति का नूतन वो श्रृंगार होता
‘फिर से कोई राधा होती फिर से कोई कृष्ण होता
फिर न कोई व्यापार होता
फिर न मिथ्या सौगन्ध का आदान प्रदान होता
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Bahut Sundar kavita