Poems On Maharana Pratap Jayanti | महाराणा प्रताप जयंती पर कवितायें
*****
धन्य हुआ रे राजस्थान,जो जन्म लिया यहां प्रताप ने।
धन्य हुआ रे सारा मेवाड़, जहां कदम रखे थे प्रताप ने॥
फीका पड़ा था तेज़ सुरज का, जब माथा उन्चा तु करता था।
फीकी हुई बिजली की चमक, जब-जब आंख खोली प्रताप ने॥
जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी।
फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी॥
था साथी तेरा घोड़ा चेतक, जिस पर तु सवारी करता था।
थी तुझमे कोई खास बात, कि अकबर तुझसे डरता था॥
हर मां कि ये ख्वाहिश है, कि एक प्रताप वो भी पैदा करे।
देख के उसकी शक्ती को, हर दुशमन उससे डरा करे॥
करता हुं नमन मै प्रताप को,जो वीरता का प्रतीक है।
तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त,तु अखण्डता का प्रतीक है॥
हे प्रताप मुझे तु शक्ती दे,दुश्मन को मै भी हराऊंगा।
मै हु तेरा एक अनुयायी,दुश्मन को मार भगाऊंगा॥
है धर्म हर हिन्दुस्तानी का,कि तेरे जैसा बनने का।
चलना है अब तो उसी मार्ग,जो मार्ग दिखाया प्रताप ने॥
*****
गाथा फैली घर-घर है,
आजादी की राह चले तुम,
सुख से मुख को मोड़ चले तुम,
‘नहीं रहूं परतंत्र किसी का’,
तेरा घोष अति प्रखर है,
राणा तेरा नाम अमर है।
भूखा-प्यासा वन-वन भटका,
खूब सहा विपदा का झटका,
नहीं कहीं फिर भी जो अटका,
एकलिंग का भक्त प्रखर है,
भारत राजा, शासक, सेवक,
अकबर ने छीना सबका हक,
रही कलेजे सबके धक्-धक्
पर तू सच्चा शेर निडर है,
राणा तेरा नाम अमर है।
मानसिंह चढ़कर के आया,
हल्दी घाटी जंग मचाया,
तेरा चेतक पार ले गया,
पीछे छूट गया लश्कर है,
राणा तेरा नाम अमर है।
वीरों का उत्साह बढ़ाए,
कवि जन-मन के गीत सुनाएं,
नित स्वतंत्रता दीप जलाएं,
शौर्य सूर्य की उज्ज्वलकर है,
राणा तेरा नाम अमर है। राणा तेरा नाम अमर है।
डॉ. जयंत निर्वाण
*****
यह भी पढ़े –
Join the Discussion!