Maa Shayari | Mother Shayari In Hindi | माँ पर शायरी
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मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
मुनव्वर राना
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लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
मुनव्वर राना
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अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की ‘राना’
माँ की ममता मुझे बाहों में छुपा लेती है
मुनव्वर राना
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मुसीबत के दिनों में हमेशा साथ रहती है
पयम्बर क्या परेशानी में उम्मत छोड़ सकता है
मुनव्वर राना
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जब तक रहा हूँ धूप में चादर बना रहा
मैं अपनी माँ का आखिरी ज़ेवर बना रहा
मुनव्वर राना
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किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
मुनव्वर राना
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ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
मुनव्वर राना
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इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
मुनव्वर राना
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मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
मुनव्वर राना
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हादसों की गर्द से ख़ुद को बचाने के लिए
माँ ! हम अपने साथ बस तेरी दुआ ले जायेंगे
मुनव्वर राना
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ख़ुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे
माँ तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे
मुनव्वर राना
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जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई
देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई
मुनव्वर राना
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Maa Shayari | Mother Shayari In Hindi | माँ पर शायरी
यहीं रहूँगा कहीं उम्र भर न जाउँगा
ज़मीन माँ है इसे छोड़ कर न जाऊँगा
मुनव्वर राना
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अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कु्छ भी नहीं होगा
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
मुनव्वर राना
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कुछ नहीं होगा तो आँचल में छुपा लेगी मुझे
माँ कभी सर पे खुली छत नहीं रहने देगी
मुनव्वर राना
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दिन भर की मशक़्क़त से बदन चूर है लेकिन
माँ ने मुझे देखा तो थकन भूल गई है
मुनव्वर राना
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दुआएँ माँ की पहुँचाने को मीलों मील जाती हैं
कि जब परदेस जाने के लिए बेटा निकलता है
मुनव्वर राना
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दिया है माँ ने मुझे दूध भी वज़ू करके
महाज़े-जंग से मैं लौट कर न जाऊँगा
मुनव्वर राना
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बहन का प्यार माँ की ममता दो चीखती आँखें
यही तोहफ़े थे वो जिनको मैं अक्सर याद करता था
मुनव्वर राना
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Maa Shayari | Mother Shayari In Hindi | माँ पर शायरी
बरबाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
माँ सबसे कह रही है कि बेटा मज़े में है
मुनव्वर राना
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खाने की चीज़ें माँ ने जो भेजी हैं गाँव से
बासी भी हो गई हैं तो लज़्ज़त वही रही
मुनव्वर राना
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मुक़द्दस मुस्कुराहट माँ के होंठों पर लरज़ती है
किसी बच्चे का जब पहला सिपारा ख़त्म होता है
मुनव्वर राना
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मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दीं
सिर्फ़ इक काग़ज़ पे लिक्खा लफ़्ज़—ए—माँ रहने दिया
मुनव्वर राना
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माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती
मुनव्वर राना
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मुझे कढ़े हुए तकिये की क्या ज़रूरत है
किसी का हाथ अभी मेरे सर के नीचे है
मुनव्वर राना
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बुज़ुर्गों का मेरे दिल से अभी तक डर नहीं जाता
कि जब तक जागती रहती है माँ मैं घर नहीं जाता
मुनव्वर राना
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अब भी रौशन हैं तेरी याद से घर के कमरे
रौशनी देता है अब तक तेरा साया मुझको
मुनव्वर राना
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मेरे चेहरे पे ममता की फ़रावानी चमकती है
मैं बूढ़ा हो रहा हूँ फिर भी पेशानी चमकती है
मुनव्वर राना
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आँखों से माँगने लगे पानी वज़ू का हम
काग़ज़ पे जब भी देख लिया माँ लिखा हुआ
मुनव्वर राना
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ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है
मुनव्वर राना
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चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखि है
मुनव्वर राना
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पहले ये काम बड़े प्यार से माँ करती थी,
अब हमें धुप जगाती है तो दुःख होता है !
मुनव्वर राना
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Maa Shayari | Mother Shayari In Hindi | माँ पर शायरी
उम्र माँ की कभी बेटे से ना पूछी जाए,
माँ तो जब छोड़ के जाती है तो दुःख होता !
मुनव्वर राना
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ऐसे तो उससे मोहब्बत में कमी होती है,
माँ का एक दिन नहीं होता है सदी होती है !
(यह शेर उन्होंने मदर्स डे के संदर्भ में कहा था)
मुनव्वर राना
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हो चाहे जिस इलाक़े की ज़बाँ बच्चे समझते हैं
सगी है या कि सौतेली है माँ बच्चे समझते हैं
मुनव्वर राना
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हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह
मुझे छुपा लिया मिट्टी ने मेरी माँ की तरह
मुनव्वर राना
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मुझे बस इस लिए अच्छी बहार लगती है
कि ये भी माँ की तरह ख़ुशगवार लगती है
मुनव्वर राना
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भेजे गए फ़रिश्ते हमारे बचाव को
जब हादसात माँ की दुआ से उलझ पड़े
मुनव्वर राना
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जब तक रहा हूँ धूप में चादर बना रहा
मैं अपनी माँ का आखिरी ज़ेवर बना रहा
मुनव्वर राना
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देख ले ज़ालिम शिकारी ! माँ की ममता देख ले
देख ले चिड़िया तेरे दाने तलक तो आ गई
मुनव्वर राना
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गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं
अभी मस्जिद के दरवाज़े पे माएँ रोज़ आती हैं
मुनव्वर राना
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Maa Shayari | Mother Shayari In Hindi | माँ पर शायरी
कभी-कभी मुझे यूँ भी अज़ाँ बुलाती है
शरीर बच्चे को जिस तरह माँ बुलाती है
मुनव्वर राना
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ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले
दिन भर की मशक़्क़त से बदन टूट रहा है
तनवीर सिप्रा
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शायद यूँही सिमट सकें घर की ज़रूरतें
‘तनवीर’ माँ के हाथ में अपनी कमाई दे
तनवीर सिप्रा
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दुआ को हाथ उठाते हुए लरज़ता हूँ
कभी दुआ नहीं माँगी थी माँ के होते हुए
इफ़्तिख़ार आरिफ़
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एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई ‘ताबिश’
मैं ने इक बार कहा था मुझे डर लगता है
अब्बास ताबिश
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इस लिए चल न सका कोई भी ख़ंजर मुझ पर
मेरी शह-रग पे मेरी माँ की दुआ रक्खी थी
नज़ीर बाक़री
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किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं
टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है
सिराज फ़ैसल ख़ान
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कदम जब चूम ले मंज़िल तो जज़्बा मुस्कुराता है
दुआ लेकर चलो माँ की तो रस्ता मुस्कुराता है
सिराज फैसल खान
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वो उजला हो के मैला हो या मँहगा हो के सस्ता हो
ये माँ का सर है इस पे हर दुपट्टा मुस्कुराता है
सिराज फैसल खान
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सुहब उठते ही जब मैँ चूमता हूँ माँ की आँखोँ को
ख़ुदा के साथ उसका हर फरिश्ता मुस्कुराता है
सिराज फैसल खान
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माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आज
हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले
कैफ़ भोपाली
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Maa Shayari | Mother Shayari In Hindi | माँ पर शायरी
माँ मुझे देख के नाराज़ न हो जाए कहीं
सर पे आँचल नहीं होता है तो डर होता है
अंजुम रहबर
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माँ ने लिखा है ख़त में जहाँ जाओ ख़ुश रहो
मुझ को भले न याद करो घर न भूलना
अजमल अजमली
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मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार
निदा फ़ाज़ली
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बेसन की सोंधी रोटी पर, खट्टी चटनी जैसी माँ
याद आती है चौका, बासन, चिमटा, फूंकनी जैसी माँ
निदा फ़ाज़ली
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बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन, थोड़ी थोड़ी सब में
दिन भर इक रस्सी के ऊपर, चलती नटनी जैसी माँ
निदा फ़ाज़ली
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बाँट के अपना चेहरा, माथा, आँखें, जाने कहाँ गयी
फटे पुराने इक एलबम, में चंचल लड़की जैसी माँ
निदा फ़ाज़ली
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मुद्दतों बाद मयस्सर हुआ माँ का आँचल
मुद्दतों बाद हमें नींद सुहानी आई
इक़बाल अशहर
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सामने माँ के जो होता हूँ तो अल्लाह अल्लाह
मुझ को महसूस ये होता है कि बच्चा हूँ अभी
महफूजुर्रहमान आदिल
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सब ने माना मरने वाला दहशत-गर्द और क़ातिल था
माँ ने फिर भी क़ब्र पे उस की राज-दुलारा लिक्खा था
अहमद सलमान
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शहर में आ कर पढ़ने वाले भूल गए
किस की माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था
असलम कोलसरी
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वो लम्हा जब मिरे बच्चे ने माँ पुकारा मुझे
मैं एक शाख़ से कितना घना दरख़्त हुई
हुमैरा रहमान
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बहुत बेचैन हो जाता है जब कभी दिल मेरा
मैं अपने पर्स में रखी अपनी माँ की तस्वीर को देख लेता हूँ
सलमान फ़हीम
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नींद भी भला इन आँखों में कहाँ आती है
एक अर्से से मैंने अपनी माँ को नहीं देखा
सलमान फ़हीम
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Maa Shayari | Mother Shayari In Hindi | माँ पर शायरी
बालाएं आकर मेरी चौखट से लौट जाती हैं
मेरी माँ की दुआएं भी कितना असर रखती हैं
सलमान फ़हीम
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गरीब हुई तो क्या, माँ फिर भी उसका ख्याल रखती है
बेटे के लिए रोटी का टुकड़ा, खुद के लिए पतीले की खुरचन रखती है
सलमान फ़हीम
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भूल जाता हूँ परेशानियां ज़िंदगी की सारी
माँ अपनी गोद में जब मेरा सर रख देती हैं
सलमान फ़हीम
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हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह
मुझे छुपा लिया मिट्टी ने मेरी माँ की तरह
अज्ञात
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जब जब कागज पर लिखा, मैने ‘माँ’ का नाम
कलम अदब से बोल उठी, हो गये चारो धाम
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जन्नत का हर लम्हा, दीदार किया था
गोद मे उठाकर जब मॉ ने प्यार किया था
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ऊपर जिसका अंत नहीं उसे ‘आसमां’ कहते हैं
इस जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे ‘माँ’ कहते हैं
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किसी का दिल तोडना आज तक नही आया मुझे
प्यार करना जो अपनी माँ से सीखा है मैंने
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मैं रात भर जन्नत की सैर करता रहा यारों
सुबह आँख खुली तो देखा मेरा सर माँ के कदमों में था
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जिस के होने से मैं खुदको मुक्कम्मल मानता हूँ
मेरे रब के बाद मैं बस अपनी माँ को जानता हूँ
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तेरी डिब्बे की वो दो रोटिया कही बिकती नहीं
माँ, मेंहगे होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं
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कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती
सब कुछ मिल जाता है लेकिन “माँ” नहीं मिलती
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मेरी तक़दीर में एक भी गम ना होता
अगर तक़दीर लिखने का हक़ मेरी माँ को होता
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यूं ही नहीं गूंजती किल्कारीयां घर आँगन के हर कोने में
जान हथेली पर रखनी पड़ती है ‘माँ’ को ‘माँ’ होने में
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Maa Shayari | Mother Shayari In Hindi | माँ पर शायरी
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