Kahi Se Mahak Aayi Hai – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित कविता ‘कही से महक आई हैं’
कही से महक आई हैं (Kahi Se Mahak Aayi Hai)
कही से महक आई हैं|
लगता है कि तू आई है|
दुपट्टा भी लहराने लगा|
लगता है हवा आई है|
बिजली चमकने लगी है|
बूंदें बरसने लगी हैं|
शीतल पवन बह चली|
तुने जुल्फें बिखराई हैं|
चांद चमकने लगा है|
उजाला होने लगा है|
चांदनी खिलने लगी|
चेहरे से जुल्फें हटाई हैं|
खिड़कियां खुलने लगी हैं|
धूल उड़ने लगी हैं|
घर भी संवरने लगा|
तेरी सूरत नजर आई है|
एक नजर मैंने देखा|
एक नजर तुने देखा|
पलकें झुका,जुल्फें संवारी|
मंद – मंद मुस्कराई हैं|
कही से महक आई है|
लगता है कि तू आई है|
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित रचनाएं-
- काह्ना
- प्रेम गीत – ‘संझा देखो फूल रहीं है’
- जन जन झूम रहा हैं
- ‘मुझे अच्छा लगता हैं’
- ‘भारत पुण्य धरा हैं प्यारी’
- रुढ़ कर तुम मुझसे कहां जाओगी
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