Muqaddar Shayari | मुक़द्दर शायरी 2020
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सुना है अब भी मेरे हाथों कि लकीरों में
नाजूमियों को मुक़द्दर दिखाई देता है
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तकदीर बनाने वाले तुमने तो कोई कमी नहीं की
अब किस को क्या मिला यह मुकद्दर की बात है
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मुक़द्दर की लिखावट का एक ऐसा भी काएदा हो
देर से किस्मत खुलने वालो का दुगुना फायेदा हो
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बात मुकद्दर पे आ के रुकी है वरना
कोई कसर तो न छोड़ी थी तुझे चाहने में
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मुझे मालूम है मेरा मुक़द्दर तुम नहीं… लेकिन
मेरी तक़दीर से छुप कर मेरे इक बार हो जाओ
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2 Line Muqaddar Shayari
ये मंजिलें तो किसी और का मुक़द्दर हैं
मुझे बस अपने जूनून के सफ़र में रहने दो
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कोई तो ख़्वाब मेरी रात का मुक़द्दर हो
कोई तो अक्स मेरी चश्म-ए-तर में रहने दो
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सुना है अब भी मिरी हाथों की लकीरों में,
नाज़ूमियों को मुकद्दर दिखाई देता है।
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जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं
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हम चिराग़-ए-शब ही जब ठहरे तो फिर क्या सोचना
रात थी किस का मुक़द्दर और सहर देखेगा कौन
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Muqaddar Shayari In Hindi
पेशानियों पे लिखे मुक़द्दर नहीं मिले
दस्तार कहाँ मिलगें जहाँ सर नहीं मिले
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पूछकर अपनी निगाहों से बता दे मुझको
मेरी रातों की मुक़द्दर में सहर है कि नहीं
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हादसे राह-ए-मोहब्बत का मुक़द्दर ठहरे
जब हमें दिल से भुलाना तो ख़बर कर देना
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वो सफ़र में है तो चलना है मुकद्दर उसका
इश्क़ में पड़ ही गया है तो वफ़ा तक पहुंचे
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यहां सब के मुक़द्दर में फ़क़त ज़ख़्म-ए-जुदाई है
सभी झूटे फ़साने हैं विसाल-ए-यार के क़िस्से
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Latest Muqaddar Shayari
संगसारी तो मुकद्दर है हमारा लेकिन
आप के हाथ में पत्थर नहीं देखे जाते
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हुनर की चौखटों पे सर लगा के आया हूँ
दाँव पर अपना मुकद्दर लगा के आया हूँ
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ढूंढते रहते हैं सब लोग लक़ीरों में जिसे
वो मुक़द्दर भी सिक़न्दर का पता पूछता है
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इसमें आवारा मिज़ाजी का कोई दख़्ल नहीं
दश्तो सहरा में फिराता है मुक़द्दर मुझको
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जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया
जो खो गया मैं उस को भुलाता चला गया
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Muqaddar Shayari 2020
अब तुम्हें क्या दे सकूँगा चारागरों दोस्तों
जिस्म का सारा लहू मेरा मुक़द्दर पी गया
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हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मै हि कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा
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मोहब्बत और मुकद्दर में बरसों से जिद का रिश्ता है
मोहब्बत जब भी होती है तो मुकद्दर रूठ ही जाता
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तकदीर का शिकवा बेमानी, जीना ही तुझे मंजूर नहीं
आप अपना मुकद्दर बन न सके, इतना तो कोई मजबूर नहीं
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मतलबी दुनिया के लोग खड़े है हाथों में पत्थर लेकर
मैं कहाँ तक भागूं शीशे का मुकद्दर लेकर
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Best Muqaddar Shayari
बड़ी दरारें है माथे पर मेरे मौला
ज़रा मरम्मत मुकद्दर की कर दे
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नज़र घायल जिगर छलनी जुबां पे सौ सौ ताले हैं
मुहब्बत करने वालों के मुकद्दर भी निराले हैं
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इस तरह कुछ आजकल अपना मुकद्दर हो गया
सर को चादर से ढंका तो पाँव बाहर हो गया
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बेपता ख़त सा होता है मुकद्दर का मिज़ाज
कोशिशों के पते ना मिले तो लौट जाता है
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शोहरतें बदल देती हैं रिश्तों के मायने
मुकद्दर किसी को इतना भी मशहूर ना करे
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Muqaddar Shayari For WhatsApp
तमाशा इससे बढकर क्या मुकद्दर का यहाँ होगा
हमें उस से मुहब्बत है, उसे इसकी खबर भी है
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वक्त के मरहम पे आखिर फिर भरोसा हो गया है
जागता नासूर था एक आज थक के सो गया है
राहतों की चाँदनी मेरे मुकद्दर में लिखो अब
जिंदगी फिर से मिलेगी बीज मैंने बो दिया है
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मुकद्दर को चलो, हम मान लेते हैं
कोशिश का किस्सा भी, मगर मशहूर रहा
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ना जाने किसका… मुकद्दर संवरने वाला है
वो एक किताब मे चिट्ठी…छुपा के निकली है
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इक बार खफा हुवा तो फिर मेहरबान न हुवा
मिजाज किसी का अपने मुकद्दर जैंसा हो गया है
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Muqaddar Shayari For Facebook
“रब ने लिखा था तुझको मेरी हसरतों में
मेरे मुकद्दर में तुम न थे….ये और बात थी
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तू मिले या ना मिले ये मेरे मुकद्दर कि बात है
मगर, सुकून बहुत मिलता है तूझे अपना सोच
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कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन
फिर इस के ब’अद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर
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चराग़-ए-राह-ए-मोहब्बत ही बन गए होते
तमाम उम्र का जलना अगर मुक़द्दर था
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होठों पे हैं दुआएं, मगर दिल पे हाथ है
अब किस को क्या मिला, ये मुक़द्दर की बात है
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Muqaddar Shayari
तश्नगी मेरा मुक़द्दर है इसी से शायद
मैं परिन्दों को भी प्यासा नहीं रहने देता
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तक़दीर का शिकवा बेमानी, जीना ही तुझे मंज़ूर नहीं
आप अपना मुक़द्दर बन ना सके, इतना तो कोई मजबूर नहीं
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तुम मिलो या ना मिलो ये मेरे मुकद्दर की बात है
सुकून बहुत मिलता है तुमको अपना सोचकर
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पेशानियों पे लिखे मुक़द्दर नहीं मिले
दस्तार कहाँ मिलेंगे जहाँ सर नहीं मिले
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कोई इक तशनगी कोई समुन्दर लेके आया है
जहाँ मे हर कोई अपना मुकद्दर लेके आया है
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Muqaddar Shayari
ज़मीन और मुक़द्दर की एक है फ़ितरत
जो भी बोया वो ही हुबहू निकलता है
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मुकद्दर में जिनके बिखरना लिखा है
अकड़कर वही आज चलने लगे हैं
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इतने बुरे तो न थे जितने इल्जाम लगाये लोगो ने
कुछ मुकद्दर बुरे थे कुछ आग लगाई लोगो ने
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जिनका मिलना मुकद्दर मे लिखा नही होता
उनसे मुहब्बत कसम से कमाल की होती है
Muqaddar Shayari
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