Kajri Teej 2019, Kajali Teej 2019, Puja Vidhi :- कजरी तीज भादो मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। यह कजली तीज के नाम से भी प्रचलित है। महिलाओं के लिए कजरी तीज का बहुत महत्व है। हरियाली जीत, हरितालिका तीज की तरह कजरी तीज भी सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण पर्व है।
कजली तीज के मौके पर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। कजरी तीज के मौके पर जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा को मिलाकर कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं।
इस बार कजरी तीज 18 अगस्त को है। कजरी तीज का शुभ मुहूर्त 17 अगस्त के रात 10 बजकर 48 मिनट से शुरू हो जाएगा जो की जो की 19 अगस्त सुबह 1.15 तक रहेगा।
कजरी तीज पर होने वाली परंपरा
- इस दिन सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए कजली तीज का व्रत रखती हैं जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं।
- इस दिन गायों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। आटे की सात लोइयां बनाकर उन पर घी, गुड़ रखकर गाय को खिलाने के बाद भोजन किया जाता है।
- कजली तीज पर घर में झूले डाले जाते हैं और महिलाएं एकत्रित होकर नाचती-गाती हैं।
इस दिन कजरी गीत गाने की विशेष परंपरा है। यूपी और बिहार में लोग ढोलक की थाप पर कजरी गीत गाते हैं। - कजरी तीज पर जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाये जाते हैं। चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत तोड़ते हैं।
कजरी तीज की पूजा विधि | Kajri Teej Puja Vidhi In Hindi
कजरी तीज के अवसर पर नीमड़ी माता की पूजा करने का विधान है। पूजन से पहले मिट्टी व गोबर से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाई जाती है (घी और गुड़ से पाल बांधकर) और उसके पास नीम की टहनी को रोप देते हैं। तालाब में कच्चा दूध और जल डालते हैं और किनारे पर एक दीया जलाकर रखते हैं। थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि रखे जाते हैं। इसके अलावा लोटे में कच्चा दूध लें और फिर शाम के समय शृंगार करने के बाद नीमड़ी माता की पूजा इस प्रकार करें..
- सर्वप्रथम नीमड़ी माता को जल व रोली के छींटे दें और चावल चढ़ाएं।
- नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13-13 बिंदिया अंगुली से लगाएं। मेंहदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली से लगाएं और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगानी चाहिए।
- नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं। दीवार पर लगी बिंदियों के सहारे लच्छा लगा दें।
- नीमड़ी माता को कोई फल और दक्षिणा चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांधें।
- पूजा स्थल पर बने तालाब के किनारे पर रखे दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी का पल्ला आदि देखें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।
कजरी तीज व्रत के नियम | Kajri Teej Vrat Ke Niyam
- यह व्रत सामान्यत: निर्जला रहकर किया जाता है। हालांकि गर्भवती स्त्री फलाहार कर सकती हैं।
- यदि चांद उदय होते नहीं दिख पाये तो रात्रि में लगभग 11:30 बजे आसमान की ओर अर्घ्य देकर व्रत खोला जा सकता है।
- उद्यापन के बाद संपूर्ण उपवास संभव नहीं हो तो फलाहार किया जा सकता है।
उपरोक्त विधि-विधान के अनुसार कजरी तीज का व्रत रखने से सौभाग्यवती स्त्री के परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। वहीं कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है।
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