Hariyali Amavasya vrat katha, Puja Vidhi, Importance, हरियाली अमावस्या व्रत कथा, पूजा विधि, महत्व – आज हम बात करेंगे सावन महीने में मनाया जाने वाले, ऐसे पर्व की, जिसका स्वागत बड़ी आतुरता के साथ सभी भक्त द्वारा किया जाता है। वो है हरियाली अमावस्या, इसको हरियाली के आगमन के रूप में मनाया जाता हैं। इस दिन किसान आने वाले वर्ष में कृषि के विकास का अनुमान लगाते हैं, शगुन करते हैं। सावन की बहार और खुशनुमे पर्यावरण का स्वागत किया जाता है।
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सावन महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता हैं। इस अमावस्या का संबंध प्रकृति, पितृ और भगवान शंकर से है। तीनों लोक से संबंध होने के कारण इस अमावस्या का अपना विशेष महत्व है।
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हरियाली अमावस्या व्रत कथा Hariyali Amavasya Vrat Katha
एक राजा था। उसके एक बेटा बहू थे। बहू ने एक दिन मिठाई चोर करके खा ली और नाम चूहा का ले लिया, यह सुनकर चूहे को गुस्सा आया, और उसने मन मे विचार किया कि चोर को राजा के सामने लेकर आऊंगा। एक दिन राजा के घर में मेहमान आये थे, और वह राजा के कमरे में सोये थे, चूहे ने रानी के कपड़े ले जाकर मेहमान के पास रख दिये। सुबह उठकर सब लोग आपस में बात करने लगे की छोटी रानी के कपड़े मेहमान के कमरे में मिले।
यह बात जब राजा ने सुनी तो उस रानी को घर से निकाल दिया। वह रोज शाम को दिया जलाती और ज्वार बोती थी। पूजा करती गुडधानी का प्रसाद बाँटती थी। एक दिन राजा शिकार करके उधर से निकले तो राजा की नजर उस रानी पर पडी। राजा ने घर आकर कहा की आज तो झाड़ के नीचे चमत्कारी चीज हैं, अपने झाड़ के ऊपर जाकर देखा तो दिये आपस में बात कर रहे थे।
आज किसने क्या खाया, और कौन क्या है। उस में से एक दिया बोला आपके मेरे जान पहचान के अलावा कोई नही है आपने तो मेरी पूजा भी नही करी और भोग भी नही लगाया बाकी के सब दिये बोले ऐसी क्या बात हुई तब दिया बोला मैं राजा के घर का हूँ उस राजा की एक बहू थी उसने एक बार मिठाई चोरी करके खा ली और चूहे का नाम लें लिया।
जब चूहे को गुस्सा आया तो रानी के कपड़े मेहमान के कमरे में रख दिये राजा ने रानी को घर से निकाल दिया, वो रोज मेरी पूजा करती थी भोग लगाती थी। उसने रानी को आशीर्वाद दिया और कहा की सुखी रहे। फिर सब लोग झाड़ पर से उतर कर घर आये और कहा की रानी का कोई दोष नही था। राजा ने रानी को घर बुलाया और सुख से रहने लगे। भूल चूक माफ करना।
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हरियाली अमावस्या की पूजा विधि Hariyali Amavasya Puja Vidhi
महिलाओ को सुबह उठकर पूरे विधि विधान से माता पार्वती एवं भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए तथा सुहागन महिलाओ को सिंदूर सहित माता पार्वती की पूजा करना चाहिए और सुहाग सामग्री बांटना चाहिए। ऐसा मानना है कि हरी चूड़िया, सिंदूर, बिंदी बांटने से सुहाग की आयु लंबी होती है और साथ ही घर में खुशहाली आती है। अच्छे भाग्य के उद्देश्य से लड़के भी चूड़ियां, मिठाई आदि सुहागन स्त्रियों को भेट कर सकते हैं। लेकिन यह कार्य दोपहर से पहले कर लेना चाहिए।
हरियाली अमावस्या के दिन भक्तो को पीपल और तुलसी के पेड़ की पूजा करना चाहिए। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा एवं फेरे किये जाते है तथा मालपूए का भोग बनाकर चढाये जाने की परंपरा है। धार्मिक ग्रंथों में पर्वत और पेड़-पौधों में भी ईश्वर का वास बताया गया है। पीपल में त्रिदेवों का वास माना गया है। आंवले के पेड़ में स्वयं भगवान श्री लक्ष्मीनारायण का वास माना जाता है।
इस दिन कई लोग उपवास भी रखते हैं। इसके बाद शाम को भोजन ग्रहण कर व्रत तोड़ा जाता है। मान्यता है कि जो लोग श्रावण मास की अमावस्या को व्रत करते हैं, उन्हें धन और वैभव की प्राप्ति होती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नासन के बाद ब्राह्मणों, ग़रीबों और वंचतों को यथाशक्ति दान-दक्षिणा करनी चाहिए।
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हरियाली अमावस्या का महत्व Importance Of Hariyali Amavasya
सावन महीने का सीधा संबंध भगवान शंकर और माता पार्वती से है। इस अमावस्या के दिन माता पार्वती के साथ भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। कुंवारी कन्याओं को विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए भगवान शंकर और माता पार्वती को लाल वस्त्र अर्पण करके उनका फल और मिष्टान से पूजन करना चाहिए।
हरियाली अमावस्या पर महिलाओ द्वारा हरे रंग के कपड़े पहने का विशेष महत्व है, इस दिन महिलाएँ झूले झूलती है, पिकनिक मनाती है, सखियों के साथ अठखेलिय करती है। विभिन्न संस्थाओं द्वारा विशेष आयोजन भी आयोजित किये जाते है, और वृक्षारोपण का कार्य भी भारी मात्रा में किया जाता है।
वर्षो पुरानी परंपरा के निर्वाहन के लिए हरियाली अमावस्या के दिन एक नये पौधे लगाना शुभ माना जाता है। यह पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण से मुक्ति के उद्देश्य से हर साल मनाई जाती है। इस दिन सवेरे किसी पवित्र जलाशय या नदी में स्नान करके नीम, आँवला, तुलसी, पीपल, वटवृक्ष और आम के पेड़ लगाने का विशेष महत्व है।
जैसा की नाम से पता चलता है, हरियाली से संबंधित इसलिए हरियाली अमावस्या मनुष्य को प्रकृति से जोड़ने का पर्व भी कहा जाता है। भक्त को अपनी राशि के अनुसार वृक्षारोपन करना चाहिए, और यदि राशि से संबंधित पौधे ना मिले तो तुलसी, आम या शमी का पेड़ भी लगाया जा सकता है। अत: इस दिन किसी वृक्ष को किसी भी प्रकार का नुकसान नही पहुँचाया जाना चाहिए।
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