Apna Desh Hindustan – Hindi Geet
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“अपना देश हिंदुस्तान “
जैसा अपना हिंदुस्तान,न ऐसा देश कोई होगा ।
जहां जन्में स्वयं भगवान,न ऐसा देश कोई होगा ।।
यहां अतिथि देव भव का नारा, मस्तिष्क पटल पे होता है
यहां ईश्वर अपने आंसू से,खुद पैर अतिथि के धोता है ।।
यहां अतिथि है देव समान,न ऐसा देश कोई होगा ।
जहां जन्में स्वयं भगवान,न ऐसा देश कोई होगा ।।
यहां नदियों को भी मां कहते,पत्थर भी पूजे जाते हैं ।
सम्मान पुस्तकों का इतना,हम शपथ उन्ही की खाते हैं ।।
वो है गीता ग्रंथ महान,न ऐसा देश कोई होगा ।
जहां जन्में स्वयं भगवान,न ऐसा देश कोई होगा ।।
यहां अमृत सा गंगा का जल,और माटी जिसकी चंदन है ।
इस पावन भूमि भारती के, चरणों में “अजय”का वंदन है ।
यहां धरती मां के समान,न ऐसा देश कोई होगा ।
जहां जन्में स्वयं भगवान,न ऐसा देश कोई होगा ।।
आचार्य डा.अजय दीक्षित “अजय”
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