Chankaya Niti about True Friend : वैसे तो हमारे आसपास कई लोग हमेशा ही रहते हैं और उनका हमारे जीवन में काफी हस्तक्षेप भी रहता है। इन लोगों में हमारे परिवारजन, मित्र, रिश्तेदार आदि शामिल होते हैं। सभी लोगों का अलग-अलग महत्व रहता है और कौन व्यक्ति हमारा कितना हितेषी है यह समय आने पर ही मालुम होता है। अपने-पराए लोगों की परख करने के लिए आचार्य चाणक्य ने कुछ खास बातें बताई हैं।
आचार्य चाणक्य कहते हैं-
आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षेत्र शत्रुसंकटे।
राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बांधव:।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में बताया है की जो इंसान निम्न 6 परिस्थितियों में आपका साथ दे वे ही आपके सच्चे हितैषी है
बीमारी में
जब आप किसी भयंकर बीमारी से ग्रस्त हो और उस वक़्त जो लोग आपका साथ दे, वे ही आपके सच्चे हितैषी है।
दुःख में
जब जीवन में कोई भयंकर दुख आ जाए और उस वक़्त जो लोग आपका साथ दे, वे ही आपके सच्चे हितैषी है।
अकाल के वक़्त
जब कभी अकाल (दुर्भिक्ष) पड़ जाए और उस वक़्त जो लोग आपका साथ दे, वे ही आपके सच्चे हितैषी है।
शत्रु के संकट के वक़्त
जब कभी आप पर किसी शत्रु का संकट आए और उस वक़्त जो लोग आपका साथ दे, वे ही आपके सच्चे हितैषी है।
शासकीय कार्यों में
जब कभी आप किसी मुक़दमे, कोर्ट केस में फँस जाए और उस वक़्त जो लोग आपका साथ दे, वे ही आपके सच्चे हितैषी है।
शमशान में
किसी अपने की मृत्यु होने पर जो लोग आपका साथ दे, वे ही आपके सच्चे हितैषी है।
ये 6 हालात ऐसे हैं जहां आपका सच्चा हितैषी ही साथ दे सकता है। अत: जो इन स्थितियों में आपका साथ देता है उनसे मित्रता कभी भी नहीं तोडऩा चाहिए। सदैव उनसे स्नेह रखें।
कौन है आचार्य चाणक्य?
आचार्य चाणक्य तक्षशिला के गुरुकुल में अर्थशास्त्र के आचार्य थे लेकिन उनकी राजनीति में गहरी पकड़ थी। इनके पिता का नाम आचार्य चणी था इसी वजह से इन्हें चणी पुत्र चाणक्य कहा जाता है। संभवत: पहली बार कूटनीति का प्रयोग आचार्य चाणक्य द्वारा ही किया गया था। जब उन्होंने सम्राट सिकंदर को भारत छोडऩे पर मजबूर कर दिया। इसके अतिरिक्त कूटनीति से ही उन्होंने चंद्रगुप्त को अखंड भारत का सम्राट भी बनाया। आचार्य चाणक्य द्वारा श्रेष्ठ जीवन के लिए चाणक्य नीति ग्रंथ रचा गया है। इसमें दी गई नीतियों का पालन करने पर जीवन में सफलाएं अवश्य प्राप्त होती हैं।
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