Chanakya Niti About Money | आचार्य चाणक्य ने एक नीति में बताया है कि कैसे कामों से महालक्ष्मी नाराज हो जाती हैं। जो भी व्यक्ति लक्ष्मी कृपा चाहते है और धनवान बनना चाहते है, उन्हें ये काम नहीं करने चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं-
कुचैलिनं दन्तमलोपधारिणं बह्वाशिनं निष्ठुरभाषिणं च।
सूर्योदये वाऽस्तमिते शयानं विमुञ्चति श्रीर्यदि चक्रपाणि:।।
इस श्लोक में आचार्य ने 6 ऐसे काम बताए हैं, जिनकी वजह से महालक्ष्मी की कृपा नहीं मिल पाती है।
पहला काम है गंदे कपड़े पहनना
जो लोग गंदे कपड़े पहनते हैं, साफ-सफाई से नहीं रहते, उन्हें महालक्ष्मी त्याग देती हैं। ऐसे लोगों को समाज में भी मान-सम्मान नहीं मिलता है और परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है।
दूसरा काम है दांतों की सफाई न करना
जो लागे नियमित रूप से दांतों की सफाई नहीं करते हैं, उन्हें भी महालक्ष्मी छोड़ देती हैं। अगर कोई व्यक्ति रोज दांत साफ नहीं करेगा तो उसके पास से दुर्गंध आने लगेगी। ऐसे लोगों से कोई भी बात करना पसंद नहीं करता है।
तीसरा काम है खाने पर नियंत्रण न होना
ऐसा व्यक्ति जो जरूरत से ज्यादा खाना खाता है, खाने के मामले में बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं है, हर वक्त सिर्फ खाने के विषय में ही सोचता है, उसे भी महालक्ष्मी की प्रसन्नता नहीं मिलती है। भूख से ज्याद भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसकी वजह से कई बीमारियां हो सकती हैं।
चौथा काम है आलस्य
अगर कोई व्यक्ति आलसी है, किसी काम के लिए उत्साह नहीं है तो ऐसे लोगों पर भी लक्ष्मी कृपा नहीं करती हैं। आलस्य की वजह से धन संबंधी कामों में सफलता नहीं मिलती है।
पांचवां काम है कठोर वचन बोलना
जो लोग कठोर भाषा का उपयोग करते हैं, अपनी बोली से दूसरों के मन को आहत करते हैं, उन्हें भी देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता नहीं मिल पाती है।
छठा काम है सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोना
जो लोग इन दो समय पर अकारण ही सोते हैं तो उनसे भी महालक्ष्मी नाराज हो जाती हैं। सूर्योदय और सूर्यास्त का समय देवी-देवताओं की पूजा के लिए श्रेष्ठ है। इस समय सोना नहीं चाहिए।
कौन थे आचार्य चाणक्य
भारत के इतिहास में आचार्य चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है। एक समय जब भारत छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था और विदेशी शासक सिकंदर भारत पर आक्रमण करने के लिए भारतीय सीमा तक आ पहुंचा था, तब चाणक्य ने अपनी नीतियों से भारत की रक्षा की थी। चाणक्य ने अपने प्रयासों और अपनी नीतियों के बल पर एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को भारत का सम्राट बनाया जो आगे चलकर चंद्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुए और अखंड भारत का निर्माण किया।
चाणक्य के काल में पाटलीपुत्र (वर्तमान में पटना) बहुत शक्तिशाली राज्य मगध की राजधानी था। उस समय नंदवंश का साम्राज्य था और राजा था धनानंद। कुछ लोग इस राजा का नाम महानंद भी बताते हैं। एक बार महानंद ने भरी सभा में चाणक्य का अपमान किया था और इसी अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए आचार्य ने चंद्रगुप्त को युद्धकला में पारंपत किया। चंद्रगुप्त की मदद से चाणक्य ने मगध पर आक्रमण किया और महानंद को पराजित किया।
आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। जो भी व्यक्ति नीतियों का पालन करता है, उसे जीवन में सभी सुख-सुविधाएं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
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