Aankhein Shayari, Hindi, Images, Pictures, WhatsApp, Facebook, New, Best, Latest, आँखे शायरी
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महफिल अजीब है, ना ये मंजर अजीब है
जो उसने चलाया वो खंजर अजीब है
ना डूबने देता है, ना उबरने देता है
उसकी आँखों का वो समंदर अजीब है
Mahfil ajeeb hai, na ye manzar ajeeb hai
Jo usne chalaaya wo khanjar ajeeb hai
Na dubane deta hai, na ubarne deta hai
Uski aankhon ka wo samndar ajeeb hai
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मेरी आंखों के आंसू कह रहे मुझसे
अब दर्द इतना है कि सहा नहीं जाता
न रोक पलको से खुल कर छलकने दे
अब यूं इन आंखों में रहा नहीं जाता
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बहुत खूबसूरत हैं ये आँखें तुम्हारी
इन्हें बना दो किस्मत हमारी
हमें नहीं चाहिये ज़माने की खुशियाँ
अगर मिल जाये मोहब्बत तुम्हारी
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सामने ना हो तो तरसती हैं आँखें
याद में तेरी बरसती हैं आँखें
मेरे लिए ना सही, इनके लिए ही आ जाया करो
तुमसे बेपनाह मोहब्बत करती हैं ये आँखें
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नशीली आंखो से वो जब हमें देखते हैं
हम घबरा के अपनी ऑंखें झुका लेते हैं
कैसे मिलाए हम उन आँखों से आँखें
सुना है वो आँखों से अपना बना लेते हैं
Nasheeli aankho se wo jab hamein dekhte hain
Ham ghabra ke apni aankhein jhuka lete hain
Kaise milaaye ham un aankhon se aankhein
Suna hai wo aankhon se apna bana lete hain
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अब तो आँसू भी नही आते आँखों में
हर ज़ख़्म नासूर सा लगता है
मोहब्बत ऐसे मोड़ पर लाई है के
अब अपना नाम भी बेगाना सा लगता है
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रात की गहराई आँखों में उतर आई
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई
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आँखें भी मेरी पलकों से सवाल करती हैं
हर वक्त आपको ही बस याद करती हैं
जब तक न कर ले दीदार आपका
तब तक वो आपका इंतजार करती हैं
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सामने ना हो तो तरसती हैं आँखें
याद में तेरी बरसती हैं आँखें
मेरे लिए नहीं इनके लिए ही आ जाओ
आपका बेपनाह इंतज़ार करती हैं आँखें
Bewafa Sanam Shayari | बेवफा सनम शायरी
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ऐ समंदर मैं तुझसे वाकिफ हूँ
मगर इतना बताता हूँ
वो ऑंखें तुझसे गहरी हैं
जिनका मैं आशिक हूँ
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आपने नज़र से नज़र जब मिला दी
हमारी ज़िन्दगी झूम कर मुस्कुरा दी
जुबान से तो हम कुछ भी न कह सके
पर आँखों ने दिल की कहानी सुना दी
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सामने ना हो तो तरसती हैं ये आँखें
बिन तेरे बहुत बरसती हैं ये आँखें
मेरे लिए ना सही इनके लिए ही आ जाओ
क्योंकि आपसे बेपनाह प्यार करती हैं ये आँखें
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नज़र ने नज़र से मुलाक़ात कर ली
रहे दोनों खामोश पर बात कर ली
मोहब्बत की फिजा को जब खुश पाया
इन आंखों ने रो रो के बरसात कर ली
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आँखों में तेरी डूब जाने को दिल चाहता है
इश्क में तेरे बर्बाद होने को दिल चाहता है
कोई संभाले मुझे, बहक रहे है मेरे कदम
वफ़ा में तेरी मर जाने को दिल चाहता है
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दिल नहीं लगता आपको देखे बिना
दिल नहीं लागता आपको सोचे बिना
आँखें भर आती हैं ये सोच कर
कि किस हाल में होंगे आप हमारे बिना
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उदास आँखों में अपना करार देखा है
पहली बार उसे बेक़रार देखा है
जिसे खबर ना होती थी मेरे आने जाने की
उसकी आँखों में अब इंतज़ार देखा है
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समंदर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं
तेरी आँखों को पड़ता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं
तुम्हारा नाम लिखने कि इजाजत छीन गयी जब से
कोई भी लफ्ज़ लिखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं
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अगर कुछ सीखना ही है
तो आँखों को पढ़ना सीख लो
वरना लफ़्ज़ों के मतलब तो
हजारों निकाल लेते हैं लोग
Good Morning Shayari | गुड मॉर्निंग शायरी
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आँखें नीची हुई तो हया बन गई
आँखें ऊँची हुई तो दुआ बन गई
आँखें उठ कर झुकी तो अदा बन गई
आँखें झुक कर उठी तो कदा बन गई
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आँखे खोलू तो चेहरा सामने तुम्हारा हो
बंद करू तो ख्वाब तुम्हारा हो
मर जाऊ तो भी कोई गम नही
अगर कफ़न के बदले आँचल तुम्हारा हो
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रात गुजारी फिर महकती सुबह आई
दिल धड़का फिर तुम्हारी याद आई
आँखों ने महसूस किया उस हवा को
जो तुम्हें छु कर हमारे पास आई
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तेरी हर अदा नशीली है इतनी की
किसी और नशे की जरुरत ही न पड़े
डूब जाना चाहता हूँ तेरी आँखों में
इतना की निकलने की जरुरत न पड़े
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मेरी मोहब्बत है वो कोई मज़बूरी तो नही
वो मुझे चाहे या मिल जाये, जरूरी तो नही
ये कुछ कम है कि बसा है मेरी साँसों में वो
सामने हो मेरी आँखों के जरूरी तो नही
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चिरागों को आंखों में महफूज रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी
मुसाफिर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी
किसी मोड़ पर, फिर मुलाकात होगी
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आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा
पत्थर कहता है मुझे मेरा चाहनेवाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा
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तू नहीं तो ज़िंदगी में क्या रह जायेगा
दूर तक तन्हाइयों का सिलसिला रह जायेगा
आँखें ताज़ा मंज़रों में खो जायेंगी मगर
दिल पुराने मौसमों को ढूंढ़ता रह जायेगा
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होंठों पे उल्फत का नाम होता है
आँखों में छलकता जाम होता है
तलवारों की ज़रूरत वहां कैसे
जहाँ नज़रों से कत्ल-ए-आम होता है
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दूरियों की परवाह ना कीजिये
जब दिल चाहे बुला लीजिये
हम ज्यादा दूर नहीं आपसे
बस आँखों को पलकों से मिला लीजिये
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मोहब्बत के सपने दिखाते बहुत हैं
वो रातों में हमको जगाते बहुत हैं
मैं आँखों में काजल लगाऊं तो कैसे
इन आँखों को लोग रुलाते बहुत हैं
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जब भी हाथ उठे हैं दुआ के लिए
मेरे लबों पे तेरा ही नाम आया
कब से आँख में छुपा के रखा था
तेरे दुःख में आज वही आंसू काम आया
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ज़ख़्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें
हम खुद निशाना बन गए वार क्या करें
मर गए हम मगर खुली रही ये आँखें
इससे ज्यादा उनका इंतज़ार क्या करें
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