Makar Sankranti Poems In Hindi | मकर संक्रांति पर कविता | Kavita | Sakrat
Makar Sankranti Poems In Hindi
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आज का दिन है अति पावन
मकर संक्रांति का है दिन
आज उड़ेगी आकाश में पतंग
होंगे लाल पिले सब रंग
गंगा में डुबकी लगाओ
करो शीतल तन और मन
दान करो चीनी चावल धान
कमाओ पुण्या बनाओ परमार्थ
जोड़ो हाथ ईशवर से वर माँगो
सब जन जीवन का हो कल्याण
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Makar Sankranti Par Kavita
आसमान में चली पतंग
मन में उठी एक तरंग
लाल, गुलाबी, काली, नीली,
मुझको तो भाती है पीली
डोर ना इसकी करना ढीली
सर-सर सर-सर चल सुरीली
कभी इधर तो कभी उधर
लहराती है फर फर फर
स्मृति आदित्य
Makar Sankranti Shayari | मकर संक्रांति शायरी
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Sakrat Poems In Hindi
ऐसी एक पतंग बनाएँ
जो हमको भी सैर कराए
कितना अच्छा लगे अगर
उड़े पतंग हमें लेकर
पेड़ों से ऊपर पहुँचे
धरती से अंबर पहुँचे
इस छत से उस छत जाएँ
आसमान में लहराएँ
खाती जाए हिचकोले
उड़न खटोले सी डोले
डोर थामकर डटे रहें
साथ मित्र के सटे रहें
विजय पताका फहराएँ
हम भी सैर कर आएँ
चंद्रकला गंगवाल
मकर संक्रांति पर राशि अनुसार ये चीज़े करें दान
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Sakrat Par Kavita
आसमान का मौसम बदला
बिखर गई चहुँओर पतंग।
इंद्रधनुष जैसी सतरंगी
नील गगन की मोर पतंग।।
मुक्त भाव से उड़ती ऊपर
लगती है चितचोर पतंग।
बाग तोड़कर, नील गगन में
करती है घुड़दौड़ पतंग।।
पटियल, मंगियल और तिरंगा
चप, लट्ठा, त्रिकोण पतंग।
दुबली-पतली सी काया पर
लेती सबसे होड़ पतंग।।
कटी डोर, उड़ चली गगन में
बंधन सारे तोड़ पतंग।
लहराती-बलखाती जाती
कहाँ न जाने छोर पतंग।।
मोहम्मद साजिद खान
मकर संक्रांति के उपाय | Makar Sankranti Ke Upay
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Makar Sankranti Poems In Hindi
रंग-बिरंगी पतंगें देख
सूरज दादा घबराए
कहीं मुझमें ना अटक जाए
खैर इसी में है अब तो
कि अभी ना बाहर आऊँ
उस छोटे बादल के पीछे
जाकर मैं छिप जाऊँ
गिरीश पंड्या
धर्म ग्रंथों में लिखी है मकर संक्राति से जुड़ी ये बातें
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Makar Sankranti Poems In Hindi
आसमान में उड़ी पतंग,
बादल से जा जुड़ी पतंग।
छोटी-मोटी, बड़ी पतंग,
हीरे जैसी बड़ी पतंग।
पीले, नीले, लाल, गुलाबी,
कितने रंग में रंगी पतंग।
नीचे-ऊपर, ऊपर-नीचे,
लहरा-लहरा, जमी पतंग।
जितनी ढील उसे दी हमने,
उतनी सिर पर चढ़ी पतंग।
कोई खेंचे, कोई लपेटे,
पेंच लड़ाने जुटी पतंग।
आकर जो उससे टकराई,
हवा-हवा में लड़ी पतंग
बच्चों के दिल को बहलाती,
कभी डोर से कटी पतंग।
हम सबके भी मन को भाती,
सात रंगों में रंगी पतंग।
अशोक शास्त्री ‘अनंत’
जानिए भारत में कहां, कैसे मनाते है मकर संक्रांति
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Makar Sankranti Kavita
आओ हम सब मकर संक्रांति मनाये
तिल की लड्डू सब मिलकर खाये।
घर में हम सब खुशियाँ फैलाये
पतंगे हम खूब उड़ाये।
सब मिलकर हम नाचे गाये
मौज मस्ती खूब उड़ाये।
आओ हम सब मकर संक्रांति मनाये
तिल की लड्डू सब मिलकर खाये।
गली मोहल्ले मे बांटे सारे ।
सब मिलकर कर खाये प्यारे
गंगा में डूबकी लगाये ।
शरीर अपना स्वस्थ बनाये ।
आओ हम सब मकर संक्रांति मनाये
तिल की लड्डू सब मिलकर खाये।।
Makar Sankranti Essay In Hindi | मकर संक्रांति पर निबंध
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Makar Sankranti Kavita
आसमान का मौसम बदला
बिखर गई चहुँओर पतंग।
इंद्रधनुष जैसी सतरंगी
नील गगन की मोर पतंग।।
मुक्त भाव से उड़ती ऊपर
लगती है चितचोर पतंग।
बाग तोड़कर, नील गगन में
करती है घुड़दौड़ पतंग।।
पटियल, मंगियल और तिरंगा
चप, लट्ठा, त्रिकोण पतंग।
दुबली-पतली सी काया पर
लेती सबसे होड़ पतंग।।
कटी डोर, उड़ चली गगन में
बंधन सारे तोड़ पतंग।
लहराती-बलखाती जाती
कहाँ न जाने छोर पतंग।।
Makar Sankarti Hindi Status Slogans Quotes
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Makar Sankranti Kavita
आई लेकर नव विहान देखो प्यारी आई संक्रांति
और समेटे जीवन धन की कितनी ही ये निर्मल शांति।
कृषक खिल उठे, महका जीवन, तिल की, गुड़ की ख़ुशबू से
हुआ संचरित नव उत्साह, नवल सूर्य के जादू से।
चले डोर संग व्योम भेदने और सजाने ज्यों विहंग
बच्चे दौड़े लेकर हाथों-हाथों में सुंदर पतंग।
बीजेंगे अब कृषक बीज और लाएंगे फिर जीवन क्रांति
आई लेकर नव विहान देखो प्यारी आई संक्रांति।
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