Amazing Facts About Tantra in Hindi: वर्तमान समय में तंत्र विद्या के सच्चे जानकार बहुत कम बचे है अधिकतर ढोंगी तांत्रिक होते है जिन्हें तंत्र विद्या का कुछ भी ज्ञान नहीं होता है। जिस कारण हम में से अधिकतर लोग तंत्र-मंत्र को अंधविश्वास समझते है, लेकिन तंत्र विद्या भारतीय रीति-रिवाज़ का एक महत्वपूर्ण अंग है और वेदों में इस विद्या का विस्तार से वर्णन भी है। आज हम आपको तंत्र से जुड़े कुछ ऐसे फैक्ट्स बता रहे है जो आप ने यकीनन पहले नहीं पढ़े होंगे-
Must Read- तंत्र के अनुसार इन तरीकों से बढ़ा सकते है सम्मोहन शक्ति, कर सकते है किसी को भी सम्मोहित
तंत्र से जुड़े अदभुत तथ्य : Amazing Facts About Tantra
1. तंत्र शास्त्र का मूल अथर्ववेद में पाया जाता है।
2. तंत्र शास्त्र 3 भागों में विभक्त है आगम तंत्र, यामल तंत्र और मुख्य तंत्र।
3. तंत्र को अंग्रेजी में ऑकल्ट कहा जाता है, जिसे अगर सरल शब्दों में समझे तो ये मन्त्रों से काम करने वाली एक तरह की सिस्टम में ढली टेक्नोलॉजी है। जिसका ज्ञान स्वयं आदियोगी शिव ने दिया है।
4. तंत्र के माध्यम से ही प्राचीनकाल में घातक किस्म के हथियार बनाए जाते थे। जैसे पाशुपतास्त्र, नागपाश, ब्रह्मास्त्र आदि। इसी तरह तंत्र से ही सम्मोहन, त्राटक, त्रिकाल, इंद्रजाल, परा, अपरा और प्राण विधा का जन्म हुआ है।
5. भगवान शिव के बाद भगवान दत्तात्रेय तंत्र के दूसरे गुरु हुए है। बाद में 84 सिद्ध, योगी, शाक्त और नाथ परम्परा का प्रचलन रहा है। नाथ परंपरा में गुरु गोरखनाथ और नवनाथों का विशेष स्थान है। गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ थे।
6. तंत्र विज्ञान में यंत्रों की जगह मानव शरीर में मौजूद विधुत शक्ति का उपयोग कर उसे परमाणुओं में बदला जा सकता है। इसलिए चीज़ों की रचना, परिवर्तन और विनाश का बड़ा भारी काम बिना किन्हीं यंत्रों की सहायता के तंत्र द्वारा हो सकता है।
7. भैरव, वीर, यक्ष, गंधर्व, सर्प, किन्नर, विद्याधर, दस महाविद्या, पिशाचनी, योगिनी, यक्षिणियां आदि सभी तंत्रमार्गी देवी और देवता हैं। इसके अलावा तांत्रिक मसान, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, वेताल, कर्ण-पिशाचनी, दुर्ग आदि की सिद्धि करने की कोशिश करते है।
8. तंत्र साधना में शांति कर्म, वशीकरण और मारण नामक छह तांत्रिक षट कर्म होते है। इसके अलावा नौ प्रयोगों का भी वर्णन मिलता है जो इस प्रकार है मारण, मोहनं, स्तंभनं, विदेवषण, उच्चाटन, वशीकरण, आकर्षण, यक्षिणी साधना, और रसायन क्रिया।
9. तांत्रिक साधना का मूल उद्देश्य सिद्धि से साक्षात्कार करना है। इसके लिए अंतर्मुखी होकर साधनाएं की जाती हैं। तांत्रिक साधना के साधारणतया 3 मार्ग- वाम मार्ग, दक्षिण मार्ग और मध्यम मार्ग है।
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