अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस | International Tiger Day – हर साल पूरे विश्व में 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस (International Tiger Day) मनाया जाता है। भारत का राष्ट्रीय पशु है। यह देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक माना जाता है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र को छोड़कर पूरे देश में पाया जाता है। शुष्क खुले जंगल, नम और सदाबहार वन से लेकर मैंग्रोव दलदलों तक इसका क्षेत्र फैला हुआ है। चिंता की बात ये है कि बाघ को वन्यजीवों की लुप्त होती प्रजाति की सूची में रखा गया है। लेकिन राहत की बात ये है कि ‘सेव द टाइगर’ जैसे राष्ट्रीय अभियानों की बदौलत देश में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का उद्देश्य-
दुनियाभर में 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) के रूप में मनाया जाता है। बाघों के संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना इसका मकसद है। 29 जुलाई 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग शहर में हुए टाइगर समिट में एक समझौता हुआ था। इसका मकसद पूरी दुनिया को यह बताना था कि बाघों की आबादी घट रही है। विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के अनुसार, वर्तमान में दुनिया में केवल 3,900 जंगली बाघ हैं। रिपोर्टों के अनुसार, 20वीं शताब्दी की शुरुआत के बाद से लगभग 95 फीसदी वैश्विक बाघों की आबादी खत्म हो गई है। उपर्युक्त समझौते में शामिल देशों का मानना है कि 2022 तक बाघों की आबादी दोगुनी हो जाएगी।
1973 में शुरू हुआ था प्रोजेक्ट टाइगर
देश में बाघों को विलुप्त होने से बचाने के लिए भारत सरकार ने 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया। इस प्रयास के तहत टाइगर रिजर्व बनाए गए। 1973-74 में जहां नौ टाइगर रिजर्व थे अब इसकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है। पर्यावरण मंत्रालय ने 2005 में नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) का गठन किया जिसको प्रोजेक्ट टाइगर के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई।
विश्व में बाघ की प्रजातियां –
भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ को कहा जाता है। बाघ देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि तथा धीरज का प्रतीक है। बाघ भारतीय उपमहाद्वीप का प्रतीक है। यह उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र को छोड़कर पूरे देश में पाया जाता है। विश्वभर में बाघों की कई तरह की प्रजातियां मिलती हैं। इनमें 6 प्रजातियां मुख्य हैं। इनमें साइबेरियन बाघ, बंगाल बाघ, इंडोचाइनीज बाघ, मलायन बाघ, सुमात्रा बाघ तथा साउथ चाइना बाघ शामिल हैं।
बाघों की आबादी में कमी की मुख्य कारण –
मनुष्यों द्वारा शहरों और कृषि का विस्तार इसका मुख्य कारण है। इस विस्तार के वजह से बाघों का 93 प्रतिशत प्राकृतिक आवास खत्म हो चुका है। बाघों की अवैध शिकार भी एक बहुत बड़ी वजह है जिसकी वजह से बाघ अब अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के विलुप्त प्राय श्रेणी में आ चुके हैं। बाघों का अवैध शिकार उनके चमड़े, हड्डियों एवं शरीर के अन्य भागों के लिए किया जाता है। इनका इस्तेमाल परंपरागत दवाइयों को बनाने में किया जाता है। कई बार बाघों की हत्या शान में भी की जाती है। इसके अतिरिक्त, जलवायु परिवर्तन भी बहुत बड़ी वजह है जिससे जंगली बाघों की आबादी कम होते जा रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है जिससे जंगलों के खत्म होने का खतरा पैदा हो गया।
“एक था टाइगर” से “टाइगर जिंदा है तक”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि बाघों की रक्षा की कहानी जो “एक था टाइगर” से शुरू हुई थी। यह “टाइगर ज़िंदा है” (टाइगर ज़िंदा है) तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि यह कहानी रुकनी नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि संरक्षण की दिशा में प्रयासों का विस्तार करने और इसकी गति बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में देश में अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया था। वहां भी वनों की सुरक्षा और संरक्षित क्षेत्रों की संख्या में वृद्धि हुई है।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2021 की थीम
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2021 की थीम है “उनका अस्तित्व हमारे हाथ में है”, जिसके चारो ओर इस वर्ष का अवलोकन घूमने वाला है।
बाघ के 10 रोचक तथ्य (10 Interesting Facts Of Tiger)
- बाघ की गर्जना या कहे की उसका दहाड़ना करीब 3 किलोमीटर तक सुना जा सकता है।
- ये रोचक तथ्य है की किसी भी दो बाघ की धारिया एक जैसी नहीं हो सकती है।
- दुनिया में कभी बाघ की 8 प्रजातियां हुआ करती थी। लेकिन अब 3 विलुप्त हो चुकी है।
- अभी साइबेरियन बाघ, बंगाल बाघ, इंडोचाइनीज बाघ, मलायन बाघ, सुमात्रा बाघ तथा साउथ चाइना बाघ जैसी प्रजातियां जिन्दा है। वही बाली बाघ, केस्पियन बाघ, और जावन बाघ विलुप्त हो चुकी है।
- बाघ अकेला ही रहता है और जिस क्षेत्र में रहता है, वहां अपने विरोधी बाघ को दूर रखने के लिए अपना एक खास क्षेत्र तय रखता है।
- बाघ अगर अपनी पूरी क्षमता से जोड़े तो ये 65 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ सकता है।
- बाघ की एक खासियत यह भी होती है की यह बहुत अच्छे तैराक होते है।
- बाघ के बच्चे जब पैदा होते है तो एक तरह से अंधे पैदा होते है। उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता। जबकि 6 से 8 सप्ताह में उनकी दृष्टि बहुत साफ़ हो जाती है।
- बाघ की जंगलों में औसत आयु आयु करीब 11 वर्ष रहती है।
- बाघ का वजन 363 किलोग्राम तक हो सकता है। यह पेड़ो पर आसानी से चढ़ने की क्षमता रखता है। हालाँकि, उम्र बढ़ने के साथ-साथ इनकी क्षमता कम होती जाती है।
अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट 2018
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट 2018 को जारी किया है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में बाघों के लिए सबसे बड़े और सबसे सुरक्षित आवासों में से एक के रूप में उभरा है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में बाघों की आबादी 2014 में 1,400 से बढ़कर 2019 में 2,977 हो गई है। बाघों को ‘मुख्य प्रजाति’ माना जाता है क्योंकि उनका संरक्षण कई अन्य प्रजातियों को भी बचाता है। भारत में हर 4 साल की अवधि में अखिल भारतीय बाघ अनुमान कार्यक्रम (All India Tiger Estimation) आयोजित किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) और बाघ के 10 रोचक तथ्य के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकरी आपको किसी लगी कमेंट करके अवश्य बताये।
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