
दोनों ही इंसानो को नदी में से निकालकर सपेरों ने जीवित किया। दोनों को बचाने वाले सपेरों का दावा है की वो सर्पदंश से मृत किसी भी व्यक्ति को कई दिनों बाद तक भी जीवित कर सकते है बशर्ते उसके मुँह, नाक और कान से खून न निकला हो। दोनों के अनुसार उन्होंने और उनके साथियों ने अनेकों ऐसे लोगो को ज़िंदा किया है। जीवित करने की यह विद्या उन्होंने अपने गुरुओं से सीखी है और अब वह यह विदया अपने शिष्यों को सीखा रहे है। आइए अब हम आपको दोनों घटनाओ के बारे में विस्तारपूर्वक बताते है।
पहली घटना- जब मृत्यु के 14 साल बाद लौटा युवक

छत्रपाल व हरी सिंह
पहली घटना फ़रवरी 2014 में बरेली के देबरनिया थाना क्षेत्र के भुड़वा नगला गांव में प्रकाश में आई जब उस गाँव का मृत लड़का 14 साल बाद जिन्दा घर लौट आया। लड़के का नाम छत्रपाल व उसके पिता का नाम नन्थू लाल है। घटना कुछ इस प्रकार है कि आज से 14 साल पहले छत्रपाल अपने पिता नन्थू लाल के साथ खेत में काम कर रहा था जहा पर उसे एक ज़हरीले सांप ने डस लिया। सांप का ज़हर तेजी से उसके शारीर में फैलने लगा। उसे तुरंत नज़दीकी अस्पताल ले जाया गया पर तब तक देर हो चुकी थी, डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजन उसके शव को लेकर वापस घर आ गए और उसके अंतिम संस्कार कि क्रिया शुरू कर दी। हिंदू मान्यता के मुताबिक, पवित्र व्यक्ति, बच्चे, गर्भवती, कुष्ठ रोग और सांप के काटे जाने वाले व्यक्ति का दाह संस्कार नहीं किया जाता है। इन सभी को नदी में बहा दिया जाता है। अतः लड़के के परिजनो ने उसका अंतिम संस्कार करते हुए उसके शव को गंगा में बहा दिया। बहता हुआ छत्रपाल हरि सिंह सपेरे को मिला, जिसने उसका जहर उतार कर उसे फिर से जिन्दा कर दिया। छत्रपाल के साथ हरी सिंह भी उसके गाँव आया था।हरी सिंह के अनुसार वह सर्पदंश से मरे हुए लोगों की निशुल्क मदद करते हैं और इसके लिए वह जगह-जगह घूमते रहते हैं। सांप के काटने से मर चुके दर्जनों लोगों को इन्होने जीवन दान देकर उनके परिजनों को बगैर कीमत वसूले सौंपे हैं। मौत के बाद छत्रपाल को जीवन दान देकर सपेरा हरी सिंह अपने कबीले की परंपरा को बताते हुए कहते हैं कि जिन्दा किया हुआ इंसान कम से कम चौदह वर्ष तक हमारे साथ रहता है। उसके बाद वह अपनी या परिजनों की मर्जी से अपने घर जा सकता है नहीं तो वह जीवन भर हमारे साथ रहे और हमारी तरह बीन बजाय और गुरु शिक्षा ग्रहण करते हुए साधू रूपी जीवन जिए।सपेरे हरी सिंह दावा करते हैं कि सांप का काटा हुआ इंसान मर जाए और उसके नाक, कान औऱ मुंह से खून नहीं निकला हो तो वह एक महीने दस दिन बाद भी उसे जिन्दा कर लेते हैं। इसी तरह जिन्दा किए हुए कई लोग आज अपने परिवार के साथ जिंदगिया जी रहे हैं। सांप के काटे का इलाज सबसे आसान है। इस इलाज में इस्तेमाल में लाने वाला मुख्य यंत्र साइकिल में हवा डालने वाला पम्प होता है। इसी पम्प और कुछ जड़ी बूटियों से वह मरे हुए लोगों को फिर से जीवन दान देते हैं।
दूसरी घटना- जब मृत्यु के ढाई साल बाद लौटा बच्चा

विक्की ऋषि अपने माता-पिता से साथ
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