Benifits Of Plantation On Hariyali Amavasya – हरियाली अमावस्या पर महिलाओ द्वारा हरे रंग के कपड़े पहने का विशेष महत्व है, इस दिन महिलाएँ झूले झूलती है, पिकनिक मनाती है, सखियों के साथ अठखेलिय करती है। विभिन्न संस्थाओं द्वारा विशेष आयोजन भी आयोजित किये जाते है, और वृक्षारोपण का कार्य भी भारी मात्रा में किया जाता है।
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वर्षो पुरानी परंपरा के निर्वाहन के लिए हरियाली अमावस्या के दिन एक नये पौधे लगाना शुभ माना जाता है। यह पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण से मुक्ति के उद्देश्य से हर साल मनाई जाती है। इस दिन सवेरे किसी पवित्र जलाशय या नदी में स्नान करके नीम, आँवला, तुलसी, पीपल, वटवृक्ष और आम के पेड़ लगाने का विशेष महत्व है।
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जैसा की नाम से पता चलता है, हरियाली से संबंधित इसलिए हरियाली अमावस्या मनुष्य को प्रकृति से जोड़ने का पर्व भी कहा जाता है। भक्त को अपनी राशि के अनुसार वृक्षारोपन करना चाहिए, और यदि राशि से संबंधित पौधे ना मिले तो तुलसी, आम या शमी का पेड़ भी लगाया जा सकता है। अत: इस दिन किसी वृक्ष को किसी भी प्रकार का नुकसान नही पहुँचाया जाना चाहिए।
यदि आप राशि के अनुसार पौधे लगाना चाहते हो तो राशि के अनुसार पौधे इस प्रकार है-
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Plants According To Zodiac On Hariyali Amavasya
मेष राशि – लाल चंदन या आंवले का पौधा
वृष राशि – जामुन या सप्तपर्ण का पौधा
मिथुन राशि – खैर या कटहल का पौधा
कर्क राशि – पलाश या पीपल का पौधा
सिंह राशि – बड़गद का पौधा
कन्या राशि – रीठा का पौधा
तुला राशि- अर्जुन का पेड़ या पौधा
वृश्चिक राशि – अमरूद का पौधा
धनु राशि – साल का पौधा
मकर और कुंभ राशि – शमी का पौधा
मीन राशि – आम का का पौधा
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हरियाली अमावस्या पर्व के फायदे Benefits of this ritual and festival
मान्यता है कि ऐसा करने से प्रकृति हरे-भरे रहने के साथ फलते –फूलने रहने का आशीर्वाद देती है। इस दिन हर किसी को किसी मंदिर या किसी बाहर कहीं एक नया पौधा ज़रुर लगाना चाहिए।
अतः हरियाली अमावस्या के दिन पेड़-पौधों को रोपित करने और उनकी पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। हरियाली अमावस्या का मुख्य उद्देश्य वर्तमान में बढ़ रहे प्रदूषण और गंदगी की समस्या को हल करना है। वर्तमान में वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव के कारण कई बीमारियाँ पनप रही है। जिनसे दिनों-दिन अनेक लोग मौत के घाट उतर रहे हैं।
प्रदूषण को खत्म करने के लिए प्राचीन समय से ही वायु में वरुण देवता और जल में जल देवता का निवास बताया गया है। ताकि लोग वायु और जलाशयों को अपवित्र या गंदा नहीं करें और उनके महत्व को समझें।
हरियाली अमावस्या के दिन कई शहरों में मेलों का भी आयोजन भी किया जाता है। इस कृषि उत्सव को सभी सम्प्रदाओ के लोग आपस में मिलकर मनाते हैं। मेले में गुड़ और धानी का प्रसाद वितरित किया जाता है जो कि कृषि की अच्छी पैदावार का प्रतीक होता है।
इस दिन गेहूँ, मक्का, ज्वार, बाजरा जैसे अनेक अनाज बोए जाते हैं और खेतों में हरियाली की जाती है, ताकि साल भर कोई भूखा न रहे और प्रदूषण से भी काफी हद तक मुक्ति मिल सके। किसानों द्वारा अपने हल और कृषि यंत्रों का पूजन करने का रिवाज भी है।
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