भविष्य पुराण के अनुसार देवी-देवताओं की मूर्ति का निर्माण 7 प्रकार की चीजों से किया जा सकता है। ये चीजें इस प्रकार हैं- सोना, चांदी, तांबा, पत्थर, मिट्टी, लकड़ी व चित्रलिखित यानी पेंटिंग। इनमें से यदि लकड़ी से देवताओं की मूर्ति बनानी हो तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कुछ खास प्रकार के पेड़ या किसी विशेष स्थान पर लगे पेड़ों से देवताओं की मूर्ति नहीं बनानी चाहिए। इससे अशुभ फल प्राप्त होते हैं।
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किन पेड़ों की लकड़ी से नहीं बनानी चाहिए भगवान की मूर्ति
1. दूध वाले वृक्ष – जिन पेड़ों से दूध निकलता हो, उनका उपयोग देवताओं की मूर्ति बनाने में नहीं करना चाहिए।
2. कमजोर वृक्ष – जिन पेड़ों को दीमक आदि जंतुओं ने खोखला कर दिया हो, उससे भी देवताओं की मूर्ति न बनवाएं।
3. वल्मीक वाले वृक्ष – जिन पेड़ों के नीचे बांबी (सांप व चींटियों के रहने का स्थान) हो। उससे भी देवताओं की मूर्ति नहीं बनवानी चाहिए।
4. शमशान के वृक्ष – यदि कोई पेड़ शमशान में उगा हो तो उससे भी देवी-देवताओं की मूर्ति नहीं बनवानी चाहिए। ये अशुभ होता है।
5. पुत्रक वृक्ष – बिना संतान वाले किसी व्यक्ति ने यदि कोई पेड़ अपने पुत्र के रूप में लगाया हो, उससे भी देवताओं की मूर्ति नहीं बनवानी चाहिए।
6. सूखा वृक्ष – ऐसे पेड़ जिनके आगे का भाग सुख गया हो या जिनकी एक-दो ही शाखा हो, उससे भी देवताओं की मूर्ति नहीं बनवानी चाहिए।
7. जिस पेड़ पर पक्षी रहते हों तथा हवा, पानी, बिजली या जानवरों से दूषित पेड़ों का उपयोग भी देव प्रतिमा बनवाने में न करें।
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