Ramayana Tips For Happy Married Life | वर्तमान समय में बहुत से कपल्स ऐसे हैं, जिनका वैवाहिक जीवन सुखद नहीं हैं। शादी के बाद छोटे-छोटे वाद-विवाद होना आम बात है, लेकिन जब ये बढ़ने लगे तो संभल जाना चाहिए। यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तरों पर स्त्री और पुरुष दोनों ही अधूरे होते हैं। दोनों के मिलन से ही अधूरापन दूर होता है। दांपत्य यानी मैरिड लाइफ में यहां बताई जा रही सात बातों का ध्यान रखेंगे तो पति-पत्नी हमेशा खुश रहेंगे। ये सात बातें रामायण में श्रीराम-सीता के जीवन में देखने को मिलती हैं।
जानिए ये बातें कौन-कौन सी हैं | Ramayana Tips For Happy Married Life
पहली बात है संयम
संयम यानी समय-यमय पर उठने वाली मानसिक उत्तेजनाओं जैसे- कामवासना, क्रोध, लोभ, अहंकार तथा मोह आदि पर नियंत्रण रखना। राम-सीता ने अपना संपूर्ण दाम्पत्य बहुत ही संयम और प्रेम से जीया। वे कहीं भी मानसिक या शारीरिक रूप से अनियंत्रित नहीं हुए।
दूसरी बात है संतुष्टि
संतुष्टि यानी एक दूसरे के साथ रहते हुए समय और परिस्थिति के अनुसार जो भी सुख-सुविधा प्राप्त हो जाए उसी में संतोष करना। दोनों एक दूसरे से पूर्णत: संतुष्ट थे। कभी राम ने सीता में या सीता ने राम में कोई कमी नहीं देखी।
तीसरी बात है संतान
दाम्पत्य जीवन में संतान का भी बड़ा महत्वपूर्ण स्थान होता है। पति-पत्नी के बीच के संबंधों को मधुर और मजबूत बनाने में बच्चों की अहम् भूमिका रहती है। राम और सीता के बीच वनवास को खत्म करने और सीता को पवित्र साबित करने में उनके बच्चों लव और कुश ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
चौथी बात है संवेदनशीलता
पति-पत्नी के रूप में एक दूसरे की भावनाओं का समझना और उनकी कद्र करना। राम और सीता के बीच संवेदनाओं का गहरा रिश्ता था। दोनों बिना कहे-सुने ही एक दूसरे के मन की बात समझ जाते थे।
पांचवीं बात है संकल्प
पति-पत्नी के रूप अपने धर्म संबंध को अच्छी तरह निभाने के लिये अपने कर्तव्य को संकल्पपूर्वक पूरा करना।
छठी बात है शारीरिक,आर्थिक और मानसिक मजबूती
दाम्पत्य यानी कि वैवाहिक जीवन को सफलता और खुशहाली से भरा-पूरा बनाने के लिये पति-पत्नी दोनों को शारीरिक, आर्थिक और मानसिक रूप से मजबूत होना बहुत ही आवश्यक है।
सातवीं बात है समर्पण
दाम्पत्य यानी वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी का एक दूसरे के प्रति पूरा समर्पण और त्याग होना भी आवश्यक है। एक-दूसरे की खातिर अपनी कुछ इच्छाओं और आवश्यकताओं को त्याग देना या समझौता कर लेना दाम्पत्य संबंधों को मधुर बनाए रखने के लिये बड़ा ही जरूरी होता है।
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