भगवान शिव का रहन-सहन हमेशा से ही लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है। वे कहां रहते हैं, कैसे रहते हैं हर किसी को इन बातों की जिज्ञासा रहती है। वामन पुराण में भगवान शिव के घर का वर्णन मिलता है। किसने बना था उनका घर, कहां पर बनाया गया था और वह कैसा था, इसका भी पूरा वर्णन वामन पुराण में मिलता है। आज हम आपको इसी के बारे में बताएंगे-
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किसने बनाया था भगवान शिव का घर
श्लोक
ततो गिरौ वसन् रुद्रः स्वेच्छया विचरन् मुने।
विश्र्वकर्माणमाहूय प्रोवाच कुरु मे गृहम।।
अर्थ – एक बार मंदरगिरि पर्वत पर घुमते हुए भगवान शिव ने भगवान विश्वकर्मा से कहा कि आप मेरे लिए एक सुंदर घर का निर्माण करें।
कितना बड़ा है भगवान शिव का घर
श्लोक
ततश्र्वकार शर्वस्य गृहमं स्वतिकलक्षणम।
योजनानि चतुः षट्टिःप्रमाणेन हिरण्मयम।।
अर्थ – शिवजी के कहने पर भगवान विश्वकर्मा ने चौंसठ योजन में फैला हुआ सोने का घर बनाया और पूरे घर को स्वास्तिक के चिन्हों से सजाया।
कैसी है भगवान शिव के घर की सजावट
श्लोक
दन्ततोरणनिर्वयहं मुक्ताजालान्तरम शुभम।
शुद्धस्फटिकसोपनं वैडूर्यकृतरूपकम।।
अर्थ – उसे हाथी के दांतों से बनी तोरण और मोतियों से बनी झालरों से सजाया। साथ ही वैडूर्यमणि से जड़ी स्फटिक की सीढ़ियां बनाई।
कितने कमरों का है भगवान शिव का घर
श्लोक
सप्तकक्षं सुविस्तीर्ण सवैः समुदितं गुणैः।
ततो देवपतिक्ष्य यज्ञं गार्हस्थ्यलक्ष्णम ।।
अर्थ – सात कमरों वाला वह घर सभी गुणों से भरा-पूरा था। घर बन जाने के बाद भगवान शिव ने यज्ञ आदि करने के बाद उस घर में निवास किया।
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Himanshu says
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