जैसा की हमारे प्राचीन ग्रंथों में उल्लेखित है कि हमारे प्राचीन ऋषि-मुनि काफी लंबे समय तक स्वस्थ्य और जवान रहते थे। उनके लंबे समय तक सेहतमंद रहने के कई कारण थे जिसमे से एक उनका खान-पान था। आइए जानते है हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों का खान पान क्या था।
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कंद- ऋषि-मुनि जमीन के नीचे उगने वाले कंद खाते थे। इनसे एनर्जी मिलती थी लेकिन ज्यादा कैलोरी और फैट से बचाव होता था।
मूल- ऋषि-मुनि मूल यानि कई तरह की जड़ों का उपयोग खाने के लिए करते थे। इनसे बॉडी को जरुरी न्यूट्रिएंट्स मिलते थे और बीमारियों से बचाव होता था।
फल- ऋषि मुनि ताजे फल खाते थे। ताजे फलों से बॉडी को एनर्जी और न्यूट्रिएंट्स के अलावा फाइबर्स भी मिलते थे।
आंवला- ये ऋषि-मुनियों की डाइट में फ़ूड और मेडिसिन दोनों के रूप में शामिल था। इससे उनकीं स्किन हेल्दी रहती थी। बाल लंबें समय तक काले रहते थे।
शहद- ऋषि-मुनि जंगल में रहते थे और वहां पर शहद उनकी डाइट जा अहम हिस्सा था। एंटीबायोटिक और एंटीबैक्टीरियल के रूप में शहद बीमारियों से बचाव करता था।
दूध- ऋषि-मुनि अपने आश्रम में गाय पालते थे और उसका दूध पीते थे। इससे उनकी हड्डियां मजबूरत रहती थी। बीमारियों से बचाव होता था।
घी- देशी गाय का घी, ऋषि-मुनियों की डाइट का जरुरी हिस्सा था। इससे उन्हें जरुरी फैट और एनर्जी मिलती थी। स्किन ग्लोइंग रहती थी।
दही- ऋषि-मुनि के दिन के खाने में दही जरूर शामिल होता था। इससे डाइजेशन अच्छा होता था और पेट की बीमारियों से बचाव होता था।
सब्ज़ियां- ऋषि-मुनि की डाइट का अधिकांश भाग हरी पत्तेदार चीज़ों का होता था। इससे उन्हें जरुरी विटामिन्स और मिनरल्स के साथ फाइबर्स भी मिलते थे।
साबुत अनाज- ऋषि-मुनि पका हुआ खाना कम खाते थे लेकिन साबुत अनाज उसमें शामिल था। इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स से हार्ट हेल्दी रहता था। कई बीमारियों से बचाव होता था।
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