7 Chamatkari Yantra: तंत्र शास्त्र के अंतर्गत विभिन्न मंत्रों व यंत्रों का उपयोग भी किया जाता है। ये यंत्र बहुत ही शक्तिशाली होते हैं। इन यंत्रों को सिद्ध कर मनचाही सफलता पाई जा सकती है। ये विशेष यंत्र देवी-देवताओं को प्रसन्न करने की तथा ग्रहों को अनुकूल करने की शक्ति भी रखते हैं। इन यंत्रों को बनाने के लिए एक खास कागज, कलम व स्याही का इस्तेमाल किया जाता है। शुभ मुहूर्त में बनाए गए यंत्र शुभ प्रभाव देते हैं। आज हम आपको कुछ खास यंत्रों के बारे में बता रहे हैं, जो आपको मनचाही सफलता दिला सकते हैं।
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बगलामुखी यंत्र (Baglamukhi Yantra)
ये यंत्र शत्रुओं पर विजय दिलाने के लिए अत्यन्त उपयोगी है। इस यंत्र को शुभ मुहूर्त में सामने रखकर बगलामुख मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप करते समय पीला कपड़े पहनने चाहिए और जाप के लिए हल्दी की गांठ की माला का उपयोग करना चाहिए। इस यंत्र को सामने रखकर मां बगलामुखी का मंत्र 36 हजार की संख्या में जाप करने से शत्रुओं का किया गया तंत्र-मंत्र आदि टोटके नष्ट हो जाते हैं और साधक की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मंत्र- ऊं ह्लीं श्रीं ह्लीं पीताम्बरे तंत्र बाधाम नाशय नाशय
दुर्गा बीसा यंत्र (Durga Bisa Yantra)
दुर्गा बीसा यंत्र को परेशानियों से बचने के लिए एवं चोर भय, अग्नि भय, झगड़ा, लड़ाई इत्यादि से बचने के लिए पर्स में या जेब में रखते हैं। दुर्गा बीसा यंत्र शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
- दुर्गा बीसा यंत्र को सामने रखकर शुभ मुहूर्त में हनुमान चालीसा का एक सौ आठ पाठ करने से सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
- इस यंत्र की रोज पूजा कर सिरहाने रखने से बुरे सपनों से छुटकारा मिलता है।
चंद्र यंत्र (Chandra Yantra)
जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा अशुभ है तो उसे चंद्र यंत्र की पूजा करनी चाहिए। चंद्र यंत्र की चल या अचल प्रतिष्ठा करके पूजन करने से शीघ्र ही अनुकूल फल प्राप्त होने लगता है।
- चंद्रदेव को शीघ्र प्रसन्न करना हो तो चंद्र यंत्र के साथ ही भगवान शंकर की भी पूजा करना चाहिए क्योंकि चंद्रमा भगवान शिव के मस्तक पर ही विराजमान हैं।
- शुक्ल पक्ष के किसी सोमवार या पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त देखकर चंद्र यंत्र की स्थापना करें। इस यंत्र को सामने रखकर पूजा करने से सभी प्रकार के भय नष्ट हो जाते हैं तथा शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
- व्यापार-व्यवसाय तथा नौकरी आदि में सफलता मिलती है। समाज में उन्नति प्राप्त होती है तथा कार्यों किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती।
संतान गोपाल यंत्र (Santan Gopal Yantra)
इस यंत्र की साधना अत्यन्त प्रसिद्ध है जिन्हें संतान नहीं होती, वे लड्डू गोपाल की मूर्ति के साथ संतान गोपाल यंत्र स्थापित करते हैं तथा उनके सामने संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करते हैं। इससे योग्य संतान की प्राप्ति होती है।
- संतान गोपाल यंत्र को गुरु पुष्य नक्षत्र में स्थापित करना चाहिए। इसके बात संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
- संतान गोपाल यंत्र की स्थापना गोशाला में करें तो इसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है। इसके सामने गोपालकृष्ण मंत्र का जाप करने से शीघ्र ही योग्य संतान की प्राप्ति होती है।
महाकाली यंत्र (Mahakali Yantra)
यंत्र शास्त्र के अंतर्गत कई अद्भुत व शक्तिशाली यंत्रों की पूजा का विधान है। ऐसा ही एक महाशक्तिशाली यंत्र है महाकाली यंत्र।
- महाकाली यंत्र की पूजा मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए की जाती है। विशेष रूप से अत्याचारी शत्रु से रक्षा पाने के लिए।
- वाद-विवाद, मुकदमें में जीतने के लिए, किसी भी प्रकार के युद्ध, शास्त्रार्थ में विजय के लिए महाकाली यंत्र की उपासना तुरंत फल देती है।
- प्रतिदिन सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनकर यंत्र के सामने बैठकर ऊं क्रीं कालीकायै नम:मंत्र का जाप करते हुए यंत्र का पूजा करनी चाहिए।
व्यापार वृद्धि यंत्र (Vyapar Vridhi Yantra)
इस यंत्र से बिजनेस में सफलता मिलती है। यह यंत्र दुकान में चोरी, अग्निकांड आदि भय को भी समाप्त करता है।
- इस यंत्र को शुक्ल पक्ष के किसी रविवार को तुलसी के रस में चमेली की लकड़ी की कलम के द्वारा भोजपत्र पर लिखें। इसके बाद इसकी विधि-विधान से पूजा करें।
- व्यापार वृद्धि यंत्र की प्रतिष्ठा व पूजा करने के बाद इसे दुकान अथवा आॉफिस जहां से आप व्यवसाय करते हों वह के पूजा घर में रखें तथा रोज पूजा करें। ऐसा करने से रूके व्यापार में वृद्धि होगी।
- इस यंत्र से व्यापार में तो लाभ होता ही है साथ ही व्यापार में हानि पहुंचाने वाले भी अनुकूल हो जाते हैं।
सूर्य यंत्र (Surya Yantra)
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य अशुभ हो तो उसे हर काम में असफलता ही हाथ लगती है, न ही उसे अपने कामों का यश मिलता है और न ही सम्मान। ऐसे में कई बार वह व्यक्ति निराशा में डूब जाता है। यंत्र शास्त्र के अनुसार, ऐसी स्थिति में यदि सूर्य यंत्र का विधि-विधान पूर्वक पूजन किया जाए तो शीघ्र ही शुभ फल मिलने लगते हैं।
- इस यंत्र की स्थापना रविवार या किसी शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। सबसे पहले सुबह उठकर नित्य कर्मों से निपटकर सूर्य देव को प्रणाम करें। इसके बाद इस यंत्र को गंगाजल व गाय के दूध से पवित्र करें। अब इस यंत्र का विधिपूर्वक पूजन करने के बाद सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए।
मंत्र- ऊं घृणि सूर्याय नम:। - जाप करने के बाद इस यंत्र की स्थापना अपने पूजन स्थल पर कर दें तथा प्रतिदिन इस यंत्र का पूजन-पाठ करें। इस प्रकार इस यंत्र का पूजन करने से शीघ्र ही सूर्य संबंधी होने वाली समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
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