धर्म ग्रंथों में रक्षा करने वाले एक वैदिक देवता हैं-पूषन्। वेदों में इनका बहुत महत्व बताया गया है। यह रक्षा करने वाले देवता हैं। सूर्य की प्रेरणा से ये हम सब की रक्षा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इनको सूर्य के बारह रूपों (12 आदित्य) में से एक माना गया है। कहीं-कहीं इनको सूर्य के दूत के रूप में भी चित्रित किया गया है। प्राणियों की रक्षा के लिए ये हमेशा घूमते रहते हैं। खासतौर से मार्ग में ये रक्षा करते हैं। एक खूबी यह है कि यह सबको रास्ता बताते हैं। इसीलिए पथ प्रदर्शक देवता के रूप में भी इनकी गणना है। कहते हैं इनके दांत नहीं हैं।
यह पढ़े- मंदिर के अंदर अवश्य ध्यान रखें ये बातें
पुराणों में पूषन् को 12 आदित्यों में से एक माना है। भागवत में इनको ऋत्विज कहा गया है। उल्लेख है-
पूषा धनञ्जयो वात: सुषेण: सरुचिस्तथ।
श्रीमद्भागवत 12/11/39
अर्थ- माघ मास में पूषा नाम के सूर्य रहते हैं।
भगवान शंकर ने तोड़े दांत
भगवान शंकर ने ही पूषन् के दांत तोड़ दिए थे। हुआ यह था कि पूषन् दक्ष यज्ञ में शामिल होने गए थे। लेकिन यज्ञ में शिव की पत्नी उमा ने अपना शरीर यज्ञाग्रि में समर्पित कर दिया था। वहां इन्होंने शंकर भगवान की हंसी उड़ाई थी। शतपथ ब्राह्मण और तैत्तिरीयसंहिता में भी कहा है कि इनके दांत नहीं थे पर कथा कुछ अलग है। कहते हैं देवताओं द्वारा दिए गए हविर्भाग को खाने से इनके दांत टूटे। भगवान शंकर द्वारा इनके दांत तोड़ने का उल्लेख शास्त्रों में इस तरह है-
पूषानपत्य: पिष्टदो भग्रदन्तोऽभवत् पुरा।
योऽसौ दक्षाय कुपितं जहास विवृतद्वज:॥
श्रीमद् भागवत 6/6/43
अर्थ- संतानहीन पूषा ने एक बार बहुत बड़ी भूल की थी। भगवान शंकर दक्षयज्ञ को तहस-नहस करने आए थे। तब पूषन् दांत दिखाकर हंस रहे थे। इससे शिव को क्रोध आ गया। उन्होंने इनके दांत हमेशा के लिए तोड़ दिए।
ऐसा है स्वरूप
वेदों के अनुसार यह बहुत ही तेजस्वी हैं। ऋग्वेद के 8 सूक्तों में पूषन् देवता की महिमा का गान किया गया है। रुद्र की तरह ही इनकी भी दाढ़ी व जटाए हैं। दांत नहीं होने के कारण ये तरल रूप में ही भोजन या हविर्भाग प्राप्त करते हैं। इनके पास सोने का एक भाला और एक अंकुश रहता है। कुछ ग्रंथों में इन्हें हाथ में अंकुश व कमल के फूल लिए भी बताया गया है।
वास आकाश में, नजर सब पर
पूषन् रहते तो आकाश यानी द्युलोक में हैं पर इनकी नजर सब पर रहती है। सभी प्राणियों को एक साथ देख सकते हैं। समूचे विश्व का निरीक्षण करते हुए हमेशा पृथ्वी और आकाश के बीच घूमते रहते हैं।
भारत के मंदिरों के बारे में यहाँ पढ़े – भारत के अदभुत मंदिर
सम्पूर्ण पौराणिक कहानियाँ यहाँ पढ़े –पौराणिक कथाओं का विशाल संग्रह
Other Similar Posts:-
- वास्तु टिप्स : नहीं करने चाहिए भगवान की इन 5 तरह की मूर्तियो के दर्शन
- इस कारण स्त्रियां कभी नहीं फोड़ती है नारियल
- मकान की नींव में सर्प और कलश क्यों गाड़ा जाता है?
- घर के मंदिर में ध्यान रखनी चाहिए यह 20 बातें
- जानिए किस देवता को चढ़ाना चाहिए कौनसा पुष्प?
Join the Discussion!