Kailash Mansarovar Yatra in Hindi : कैलाश मानसरोवर जहां का नाम सुनते ही मन में श्रद्धा और भक्ति की भावना जागृत हो जाती है। जहां जाना कठिन होता है लेकिन भगवान शिव के दर्शन करने हर साल हजारों श्रद्धालु इन कठिन रास्तों की परवाह किए बिना कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाते हैं। सूर्य की पहली किरणें जब कैलाश पर्वत पर पड़ती हैं तो यह पूर्ण रूप से सुनहरा हो जाता है। इतना ही नहीं, कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान आपको पर्वत पर बर्फ से बने साक्षात ॐ के दर्शन हो जाते हैं। कैलाश मानसरोवर की यात्रा में हर कदम बढ़ाने पर दिव्यता का अहसास होता है। ऐसा लगता है मानो एक अलग ही दुनिया में आ गए हों।
कैलाश मानसरोवर का महत्व-
कैलाश मानसरोवर को शिव-पार्वती का घर माना जाता है। सदियों से देवता, दानव, योगी, मुनि और सिद्ध महात्मा यहां तपस्या करते आए हैं। मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति मानसरोवर (झील) की धरती को छू लेता है, वह ब्रह्मा के बनाये स्वर्ग में पहुंच जाता है और जो व्यक्ति झील का पानी पी लेता है, उसे भगवान शिव के बनाये स्वर्ग में जाने का अधिकार मिल जाता है। जनश्रुति यह भी है कि ब्रह्मा ने अपने मन-मस्तिष्क से मानसरोवर बनाया है। दरअसल, मानसरोवर संस्कृत के मानस (मस्तिष्क) और सरोवर (झील) शब्द से बना है। मान्यता है कि ब्रह्ममुहुर्त (प्रात:काल 3-5 बजे) में देवता गण यहां स्नान करते हैं. ग्रंथों के अनुसार, सती का हाथ इसी स्थान पर गिरा था, जिससे यह झील तैयार हुई। इसलिए इसे 51 शक्तिपीठों में से भी एक माना गया है. गर्मी के दिनों में जब मानसरोवर की बर्फ पिघलती है, तो एक प्रकार की आवाज भी सुनाई देती है। श्रद्धालु मानते हैं कि यह मृदंग की आवाज है। एक किंवदंती यह भी है कि नीलकमल केवल मानसरोवर में ही खिलता और दिखता है।
क़ैलाश मानसरोवर की यात्रा-
क़ैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों को भारत की सीमा लांघकर चीन में प्रवेश करना पड़ता है क्योंकि यात्रा का यह भाग चीन में है। कैलाश पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 20 हजार फीट है। यह यात्रा अत्यंत कठिन मानी जाती है। कहते हैं जिसको भोले बाबा का बुलावा होता है वही इस यात्रा को कर सकता है। सामान्य तौर पर यह यात्रा 28 दिन में पूरी होती है। कैलाश पर्वत कुल 48 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। कैलाश पर्वत की परिक्रमा वहां की सबसे निचली चोटी दारचेन से शुरू होकर सबसे ऊंची चोटी डेशफू गोम्पा पर पूरी होती है। यहां से कैलाश पर्वत को देखने पर ऐसा लगता है, मानों भगवान शिव स्वयं बर्फ से बने शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। इस चोटी को हिमरत्न भी कहा जाता है।
बौद्ध धर्म का भी है महत्तवपूर्ण स्थान
यह स्थान बौद्ध धर्मावलंबियों के सभी तीर्थ स्थानों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। कैलाश पर स्थित बुद्ध भगवान के अलौकिक रूप ‘डेमचौक’ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है। वह बुद्ध के इस रूप को ‘धर्मपाल’ की संज्ञा भी देते हैं। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इस स्थान पर आकर उन्हें निर्वाण की प्राप्ति होती है। वहीं जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ने भी यहीं निर्वाण लिया। कुछ लोगों का मानना यह भी है कि गुरु नानक ने भी यहाँ ध्यान किया था।
भारत के मंदिरों के बारे में यहाँ पढ़े – भारत के अदभुत मंदिर
पौराणिक कहानियाँ यहाँ पढ़े – पौराणिक कथाओं का विशाल संग्रह
भगवान शिव से सम्बंधित अन्य लेख
- श्रीखंड महादेव यात्रा- अमरनाथ से भी कठिन है महादेव की यह यात्रा
- भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय (राशि अनुसार)
- भगवान राम और भगवान शिव में प्रलयंकारीयुद्ध का क्या हुआ परिणाम ?
- बिजली महादेव- कुल्लू -हर बारह साल में शिवलिंग पर गिरती है बिजली
- 12 ज्योतिर्लिंग (12 Jyotirlinga)
Hindi, Yatra, Varnan, Story, History, Kahani, Kailash Mansarovar,
Join the Discussion!