शिव पार्वती प्रसंग : श्रीरामचरितमानस के एक प्रसंग में भगवान शिव ने पार्वती को कुछ अवगुण बताए हैं और कहा है कि यदि ये अवगुण किसी मनुष्य में होते हैं तो उसे बुरा इंसान समझना चाहिए। श्रेष्ठ इंसान बनने के लिए इन अवगुणों से दूर रहना चाहिए। जब कोई इंसान इन 7 दुर्गुणों का त्याग करेगा तभी वो जिंदगी में तरक्की और सफलता प्राप्त कर पाएगा। जानिए ये अवगुण कौन-कौन से हैं…
चौपाई-
बाढ़े खल बहु चोर जुआरा। जे लंपट परधन परदारा।।
मानहिं मातु पता नहिं देवा। साधुन्ह सन करवावहिं सेवा।।
जिन्ह के यह आचरन भवानी। ते जानेहु निसिचर सब प्रानी।।
अर्थात- पराए धन और पराई स्त्री के लिए गलत विचार करने वाला, दुष्ट, चोर और जुआरी बहुत बढ़ गए। लोग माता-पिता और देवताओं को नहीं मानते थे और साधुओं से सेवा करवाते थे। हे भवानी। जिनके ऐसे आचरण हैं, उन सब प्राणियों को बुरा इंसान ही समझना चाहिए।
1- स्त्री के लिए न रखें बुरे विचार
श्रीरामचरितमानस के अनुसार ये अवगुण जिस मनुष्य में होता है उसे बुरा इंसान ही समझना चाहिए तथा उसका पतन भी निश्चित रूप से होता है। धर्म ग्रंथों में ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं, जहां पराई स्त्रियों पर बुरी नजर रखने वाले का पतन हो गया। पराई स्त्री मोह का प्रतीक है, जो भी इस मोह में फंसता है, वह धन, संपत्ति के साथ ही स्वयं भी नष्ट हो जाता है।
2. दुसरों को दुख न दें
जो मनुष्य दूसरों को परेशानी में डालकर या दु:ख पहुंचा कर प्रसन्न होते हैं, उसे दुष्ट कहते हैं। बुरे इंसान की प्रवृत्ति भी ऐसी ही होता है। उन्हें दूसरों को कष्ट में देखकर मजा आता है और वे स्वयं भी लोगों को दु:ख पहुंचाते हैं।
3. दूसरे के धन पर नजर न रखें
जो मनुष्य अपने धन से संतुष्ट नहीं होते तथा सदैव दूसरों के धन पर नजर रखते हैं, उसकी प्रवृत्ति बुरे इंसान के समान होती है, क्योंकि वे लोग स्वयं मेहनत नहीं करते, अपितु दूसरे लोगों के धन पर अपना अधिकार सिद्ध कर या बलपूर्वक छिनकर उसका उपभोग करते हैं। इसलिए दूसरों के धन पर नजर न रखते हुए स्वयं के परिश्रम द्वारा प्राप्त धन से ही संतुष्ट होना चाहिए।
4. चोरी न करें
श्रीरामचरितमानस के अनुसार चोरी करने वाला व जुआ खेलने वाला व्यक्ति भी बुरे इंसान के समान होता है। चोरी यानी बिना किसी परिश्रम के दूसरे के धन पर अधिकार कर लेना तथा जुआ यानी छलपूर्वक धन अर्जित करना, ये दोनों ही अवगुण बुरे इंसान की प्रवृत्ति के सूचक माने गए हैं। ये वो दो अवगुण हैं, जिनकी वजह से न सिर्फ किसी व्यक्ति का नाश होता है, बल्कि एक दिन ये परिवार, समाज व राज्य के पतन का कारण भी बनते हैं। इसलिए इन दो अवगुणों को तुरंत ही त्याग देना चाहिए।
5. साधुओं से न कराएं सेवा
हिंदू धर्म में साधु-संतों को बहुत ही आदर भाव से देखा जाता है, जो लोग साधु-संतों का अपमान करते हैं तथा उनसे सेवा कार्य करवाते हैं, वे भी बुरे इंसान के समान माने गए हैं। साधु-संत सभी को समभाव से देखते हैं और ईश्वर आराधना में लगे रहते हैं। बुरे इंसान की प्रवृत्ति होती है ईश्वर की उपासना करने वाले लोगों को परेशान करना। अत: साधु-संतों का मान-सम्मान करना चाहिए।
6. घमंड नहीं करना चाहिए
जो लोग स्वयं को ही सबसे अधिक शक्तिशाली मानते हैं और घमंड में चूर होकर अधार्मिक कार्य करते हैं, बुरे इंसान माने गए हैं।
7. माता-पिता का अनादर नहीं करना चाहिए
जो व्यक्ति अपने माता-पिता की बात नहीं मानता तथा उनका अपमान करता है, श्रीरामचरितमानस के अनुसार वह भी बुरे इंसान के समान ही होता है, क्योंकि सनातन धर्म में माता-पिता को प्रथम पूजनीय बताया गया है। माता-पिता अपनी संतान के पालन-पोषण के लिए अनेक त्याग करते हैं। जब संतान उनसे अनुचित व्यवहार करती है तो उनके मन को बहुत पीड़ा होती है।
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