आषाढ़ महीने में सूर्य को जल चढ़ाने के फायदे Surya Puja In Ashadh Month, Benifits of surya puja – आषाढ़ महीने में सूर्य की उपासना की परंपरा है। इससे आत्मविश्वास बढ़ता है। स्कंद और पद्म पुराण के अनुसार इस महीने में सूर्य को जल चढ़ाने से पुण्य मिलता है और पाप भी खत्म हो जाते हैं।
धर्म ग्रंथों के जानकारो के अनुसार वेदों में सूर्य को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। इसलिए सूर्य उपासना से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। आषाढ़ महीने में सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा इसलिए भी है क्योंकि इससे शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित किया जा सकता है।
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सेहत के नजरिये से भी महत्वपूर्ण Benifits of surya puja
मन प्रसन्न रहता है
सेहत के नजरिये से भी सूर्य को जल चढ़ाना महत्वपूर्ण है। सूर्य की किरणें शरीर में मौजूद बैक्टीरिया को दूर कर निरोगी बनाने का काम करती हैं। सूर्य की किरणों से विटामिन डी मिलता है। ज्योतिष ग्रंथों में भी सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। इसलिए सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव के दर्शन से मन प्रसन्न होता है। इससे सकारात्मक रहने और अच्छे काम करने की प्रेरणा मिलती है।
शरीर में स्फूर्ति आती है
सूर्य पूजा से शरीर में स्फूर्ति भी आती है। उगते हुए सूर्य की किरणें हमारी आंखों के लिए अच्छी होती है। ये हमारे शरीर के ऊर्जा चक्र को सक्रिय करने में भी मदद करती हैं।
शरीर स्वस्थ रहता है
इंसान का शरीर पंच तत्वों से बना होता है। इनमें एक तत्व अग्नि भी है। सूर्य को अग्नि का कारक माना गया है। इसलिए सुबह सूर्य को जल चढ़ाने से उसकी किरणें पूरे शरीर पर पड़ती हैं। इससे हार्ट, स्कीन, आंखें, लिवर और दिमाग जैसे सभी अंग सक्रिय हो जाते हैं। और शरीर स्वस्थ रहता है
इच्छाशक्ति मजबूत होती है
सूर्य को जल चढ़ाने से मन में अच्छे विचार आते हैं, जिससे प्रसन्नता महसूस होती है। इससे सोचने-समझने की शक्ति भी बढ़ती है। ये व्यक्ति की इच्छाशक्ति को मजबूत करने का भी काम करता है।
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आषाढ़ महीने में सूर्यदेव को जल चढ़ाने के लाभ Surya Puja In Ashadh Month
स्कंद और पद्म पुराण के अनुसार सूर्य को देवताओं की श्रेणी में रखा गया है। उन्हें भक्तों को प्रत्यक्ष दर्शन देने वाला भी कहा जाता है। इसलिए आषाढ़ महीने में सूर्यदेव को जल चढ़ाने से विशेष पुण्य मिलता है।
1. आषाढ़ महीने में सूर्य को जल चढ़ाने से सम्मान मिलता है।
2. सफलता और तरक्की के लिए भी सूर्यदेव को जल चढ़ाया जाता है।
3. दुश्मनों पर जीत के लिए भी सूर्य को जल चढ़ाया जाता है।
4. वाल्मीकि रामायण के अनुसार युद्ध के लिए लंका जाने से पहले भगवान श्रीराम
ने भी सूर्य को जल चढ़ाकर पूजा की थी। इससे उन्हें रावण पर जीत हासिल करने में मदद मिली।
5. आषाढ़ महीने में सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा इसलिए भी है क्योंकि इससे शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित किया जा सकता है।
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