International Womens Day in Hindi | History | Essay | अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस, जिसे International Womens Day (IWD) के नाम से जानते है, का उद्देश्य सभी महिलाओं को उनका सम्मान देना है । यह 8 मार्च को मनाया जाता है।
महिला दिवस के पीछे का इतिहास
हर नागरिक को उसके सम्मान और उसके हक की जरूरत है, लेकिन बढ़ते दौर में जब यह पता चला कि महिलाओं को उनके सम्मान और उनके हक से वंचित किया जा रहा है, तब महिला दिवस को एक नजरिया बनाते हुए कुछ खास देशों ने हर देश के नागरिकों के अंदर महिलाओं की इज्जत करने की भावना को जगाने का निर्णय लिया गया और अमेरिका में 28 जून 1909 से महिला दिवस मानाने की नीव डाली गई। इसके बाद यह तय किया गया कि यह फ़रवरी के आखिरी इतवार को मनाया जाएगा। इसके बाद सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन में महिला दिवस को राष्ट्रीय दर्जा दिया गया।
हम आपको बता देना चाहेंगे कि जिस वक्त महिला दिवस लांच हुआ, उस वक्त महिलाओं को वोटिंग करने का हक नहीं था, और इस दिवस का पहला और मुख्य उद्देश्य महिलाओं को वोटिंग का हक़ दिलाना था। अब कुशलता पूर्वक महिला दिवस कि शुरुआत हो चुकी थी। 1917 में रूस की महिलाओं ने इस दिन का महत्व जानते हुए कपड़ों और खाने के लिए हड़ताल की। इसके बाद सरकार ने भी महिलाओं को वोटिंग करने का हक दे दिया।
आखिर फ़रवरी के अंतिम इतवार से 8 मार्च में क्यूँ मनाया जाने लगा महिला दिवस
जब महिला दिवस को लांच किया गया तब रूस में जुलियाना केलिन्डर प्रचलन था, और बांकी देशों में ग्रेगेरियन केलिन्डर था। 1917 को जब रूस कि महिलाओं ने हड़ताल की, उस दिन रूस के कैलेंडर के मुताबिक़ फ़रवरी का आखिरी इतवार 23 तारीख को था, जबकि ग्रेगेरियन कैलेंडर के मुताबिक़ उस दिन 8 मार्च था। ग्रेगेरियन के प्रचलन के चलते महिला दिवस 8 मार्च को ही मनाया जाने लगा।
क्यूँ मनाया जाना चाहिए महिला दिवस
महिलाओं के सम्मान का ख़याल रखते हुए इस दिन को सेलिब्रेट करना और इसे फॉलो करना हम सभी का कर्तव्य है, और हमें हमारे कर्तव्य को पूरा करना चाहिए।
बदनाम हो रहा है महिला दिवस
कई क्षेत्रों में यह दिन बस नाम का दिन रहा गया है, जो सिर्फ महिलाओं को एक दिन का दर्जा देता है फिर बाद में उनकी कोई केयर नहीं होती। हमारे भारतवर्ष में ही देख लिया जाए तो महिला दिवस यानी की विमेंस डे अब वैलेंटाइन डे की तरह बन चूका है जो सिर्फ दिखावे में एक दिन के लिए किया जाता है। गलत! 1 दिन बहुत ज्यादा हो गया जिस वक्त यह सेलिब्रेट किया जाता है, ठीक वहीं तक महिलाओं के सम्मान की बात दिल में जागती है। उस जगह से हटने के बाद दिल में महिलाओं के लिए गलत सोच पनपने लगती है। तब तो यह दिन पूरी तरह से गलत हुआ। इसलिए, महिलाओं का ख़याल करते हुए आप हर दिन के हर एक हर पल को महिला दिवस समझिये और इसके नियम का अनुसरण कीजिये।
प्रेषक – सार्थक
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