Kya Hoti Hai Zero FIR | FIR और Zero FIR में बड़ा अंतर होता है। Zero FIR सिटीजन को एक बड़ी सुविधा देती है, लेकिन बहुत से लोग इस बारे में जानते ही नहीं। आज हम आपको बता रहे हैं Zero FIR क्या होती है और पुलिस इसे दर्ज करने से मना करे तो आप क्या कर सकते हैं।
क्या होती है जीरो एफआईआर
हर पुलिस स्टेशन का एक ज्युरिडिक्शन (थाना क्षेत्र) होता है। यदि किसी कारण से आप अपने ज्युरिडिक्शन वाले थाने में नहीं पहुंच पा रहे या आपको इसकी जानकारी नहीं है तो जीरो एफआईआर के तहत आप सबसे नजदीकी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं।
Zero FIR किसी भी पुलिस स्टेशन में की जा सकती है दर्ज़
जीरो एफआईआर में क्षेत्रीय सीमा नहीं देखी जाती। इसमें क्राइम कहां हुआ है, इससे कोई मतलब नहीं होता। इसमें सबसे पहले रिपोर्ट दर्ज की जाती है। इसके बाद संबंधित थाना जिस क्षेत्र में घटना हुई है, वहां के ज्युरिडिक्शन वाले पुलिस स्टेशन में एफआईआर को फॉरवर्ड कर देते हैं। यह प्रोविजन सभी के लिए किया गया है। इसका मकसद ये है कि ज्युरिडिक्शन के कारण किसी को न्याय मिलने में देर न हो और जल्द से जल्द शिकायत पुलिस तक पहुंच जाए।
निर्भया केस के बाद बना एक्ट
जीरो एफआईआर का कॉन्टेप्ट दिसंबर 2012 में हुए निर्भया केस के बाद आया। निर्भया केस के बाद देशभर में बड़े लेवल पर प्रोटेस्ट हुआ था। अपराधियों के खिलाफ सिटीजन सड़क पर उतरे थे। इसके बाद जस्टिस वर्मा कमेटी रिपोर्ट की रिकमंडेशन के आधार पर एक्ट में नए प्रोविजन जोड़े गए। दिसंबर 2012 में हुए निर्भया केस के बाद न्यू क्रिमिनल लॉ (अमेडमेंट) एक्ट, 2013 आया।
क्या है जीरो एफआईआर के फायदे
इस प्रोविजन के बाद इन्वेस्टिगेशन प्रोसीजर तुरंत शुरू हो जाता है। टाइम बर्बाद नहीं होता। इसमें पुलिस 00 सीरियल नंबर से एफआईआर लिखती है। इसके बाद केस को संबंधित थाने में ट्रांसफर कर दिया जाता है। जीरो FIR से अथॉरिटी को इनिशिएल लेवल पर ही एक्शन लेने का टाइम मिलता है।
यदि पुलिस Zero FIR दर्ज़ करने से करे इंकार
यदि कोई भी पुलिस स्टेशन जीरो एफआईआर लिखने से मना करे तो पीड़ित सीधे पुलिस अधिक्षक को इसकी शिकायत कर सकता है और अपनी कम्प्लेंड रिकॉर्ड करवा सकता है। एसपी खुद इस मामले में इन्वेस्टिगेशन कर सकते हैं या फिर किसी दूसरी अधिकारी को निर्देशित कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि कोई भी पुलिस ऑफिसर एफआईआर लिखने से इंकार करे तो उस पर डिसिप्लिनरी एक्शन लिया जाए। कोई व्यक्ति चाहे तो वह ह्युमन राइट्स कमीशन में भी जा सकता है।
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