Cashew Nut Processing in Hindi | काजू मूल रूप से ब्राजीलियन नट है। 1550 के आसपास ब्राजील में राज कर रहे पुर्तगाली शासकों ने इसकी एक्सपोर्टिंग शुरू की। 1563 से 1570 के बीच पुर्तगाली ही इसे सबसे पहले गोवा लाए और वहां इसका प्रोडक्शन शुरू करवाया। वहां से यह पूरे साउथ ईस्ट एशिया में फैल गया। हम बाजार से जो काजू लाते हैं, वह पेड़ से सीधा तोड़ा हुआ नहीं रहता। काजू का कच्चा फल जहरीला होता है। इसलिए उसे प्रॉसेस किए बगैर बाजार में नहीं बेचा जा सकता। पेड़ से घर तक पहुंचने से पहले काजू को प्रॉसेसिंग की कई स्टेज से गुजारा जाता है। आइए जानते है काजू की प्रॉसेसिंग विधि –
स्टेज 1 – फार्मिंग काजू के पेड़ जंगलों या फार्म में उगाए जाते हैं। इनके फलों को कैश्यू एप्पल कहते हैं। इसके निचले हिस्से में किडनी शेप की गिरी होती हैं।
स्टेज 2 – तुड़ाई अप्रेल-मई के महीनों में काजू के फल पक जाते हैं। इस सीज़न में पेड़ों से पके हुए फल तोड़े जाते हैं। और उनकी छंटाई की जाती है।
स्टेज 3 – सॉर्टिंग पेड़ों से फल तोड़ने के बाद काजू के फलों के नीचे लगी हुई किडनी शेप की गिरी को अलग किया जाता है।
स्टेज 4 – सुखाना मॉइश्चर निकालने के लिए काजू की गिरी 3 दिनों तक धूप में रखी जाती है। इन्हें रेग्युलर पलटा जाता है ताकि अच्छे से सुख सकें।
स्टेज 5 – रोस्टिंग सुखाई हुई गिरियों को हाई प्रेशर/टेम्प्रेचर स्टीम के जरिए रोस्ट किया जाता है। रोस्टिंग का समय गिरियों के आकार पर निर्भर करता है।
स्टेज 6 – कटिंग गिरी का छिलका काफी बड़ा होता है। इसे विशेष हैंड और लेग ऑपरेटेड मशीनों से अलग किया जाता है ताकि अंदर का काजू न टूटे।
स्टेज 7 – हॉट चैम्बर काजू की गिरी के अंदर CNSL (कैश्यू नट शैल लिक्विड) नामक लिक्विड होता है जो काफी जहरीला होता है। अगर यह स्किन पर लग जाए तो इन्फेक्शन हो सकता है। बॉडी में जाने पर यह नुकसान कर सकता है। इसलिए काजू की गिरियों को स्पेशल हॉट चैंबर में 75-85 डिग्री सेंटीग्रेड पर गर्म किया जाता है। इससे इनमें मौजूदा चिपचिपा लिक्विड उड जाता है।
स्टेज – 8 पीलिंग अब काजू की गिरियों को छोटी चाकू की मदद से छीला जाता है। इससे उनका ऊपरी छिलका निकल जाता है।
स्टेज – 9 ग्रेडिंग अब काजू की छंटाई की जाती है। साइज़, कलर और शेप के आधार पर काजू की 25 से ज्यादा ग्रेड बनाई जाती हैं।
स्टेज – 10 फ्यूमिगेशन पैकिंग से पहले काजू को सुगंधित धुंए से गुजारा जाता है। फिर एक क्लीनिंग लाइन में बचा हुआ कचरा साफ़ कर दिया जाता है।
स्टेज 11 पैकिंग पैकिंग के समय काजू की फिर छटाई की जाती है। पैकिंग मटेरियल में से हवा निकालकर को CO2 और नाइट्रोजन भरकर किया जाता है।
कितनी मेहनत का काम है काजू तैयार करना.
तभी तो इसकी कीमत इतनी ज्यादा होती है, जोकि वाजिब ही है.
मतलन एक एक काजू हाथों से होकर गुजरता है.
बढ़िया लेख भाई