Facts About Shaligram in Hindi | शालिग्राम नेपाल में गंडकी नदी के तल में पाए जाने वाले काले रंग के चिकने, अंडाकार पत्थर को कहते हैं। ये भगवान विष्णु का ही एक स्वरुप कहलाते है। तुलसी के श्राप स्वरुप भगवान विष्णु को शालिग्राम बनना पड़ा था। हिंदू धर्म में देव प्रबोधनी एकादशी या देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी-शालिग्राम विवाह की परंपरा है। इससे सम्बंधित एक पौराणिक कथा है जो आप इस लिंक पर पढ़ सकते है – क्यों होता है तुलसी-शालिग्राम का विवाह? अधिकतर घरों में पूजा के लिए शालिग्राम रखे जाते है। आइये जानते है शालिग्राम से जुडी कुछ ख़ास बातें (Facts About Shaligram in Hindi)-
1. स्वयंभू होने के कारण शालिग्राम की प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती और भक्त जन इन्हें घर या मंदिर में सीधे ही पूज सकते हैं।
2. शालिग्राम अलग-अलग रूपों में पाए जाते हैं, कुछ मात्र अंडाकार होते हैं तो कुछ में एक छिद्र होता है ये पत्थर के अंदर शंख, चक्र, गदा या पद्म खुदे होते हैं।
3. भगवान शालिग्राम का पूजन तुलसी के बिना पूर्ण नहीं होता और तुलसी अर्पित करने पर वे तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं।
4. श्री शालिग्राम और भगवती स्वरूपा तुलसी का विवाह करने से सारे अभाव, कलह, पाप ,दुःख और रोग दूर हो जाते हैं।
5. तुलसी शालिग्राम विवाह करवाने से वही पुण्य फल प्राप्त होता है जो कन्यादान करने से मिलता है।
4. पूजन में श्री शालिग्राम जी को स्नान कराकर चंदन लगाकर तुलसी दल अर्पित करना और चरणामृत ग्रहण करना चाहिए। यह उपाय मन, धन व तन की सारी कमजोरियों व दोषों को दूर करने वाला माना गया है।
5. पुराणों में तो यहां तक कहा गया है कि जिस घर में भगवान शालिग्राम हो, वह घर सारे तीर्थों से भी श्रेष्ठ है। इनके दर्शन व पूजन से समस्त भोगों का सुख मिलता है।
6. भगवान शिव ने भी स्कंदपुराण के कार्तिक माहात्मय में भगवान शालिग्राम की स्तुति की है। ब्रह्मवैवर्तपुराण के प्रकृतिखंड अध्याय में उल्लेख है कि जहां भगवान शालिग्राम की पूजा होती है वहां भगवान विष्णु के साथ भगवती लक्ष्मी भी निवास करती है।
7. पुराणों में यह भी लिखा है कि शालिग्राम शिला का जल जो अपने ऊपर छिड़कता है, वह समस्त यज्ञों और संपूर्ण तीर्थों में स्नान के समान फल पा लेता है।
8. जो निरंतर शालिग्राम शिला का जल से अभिषेक करता है, वह संपूर्ण दान के पुण्य व पृथ्वी की प्रदक्षिणा के उत्तम फल का अधिकारी बन जाता है।
9. मृत्युकाल में इनके चरणामृत का जलपान करने वाला समस्त पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक चला जाता है।
10. जिस घर में शालिग्राम का रोज पूजन होता है उसमें वास्तु दोष और बाधाएं अपने आप समाप्त हो जाती हैं।
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