समधी का खतमैं शर्मिंदा हूं समधी जी, और कहूँ क्या आपको।तुमने एक छछूंदर पाली, मैंने पाला सांप को।।बड़े भाव से आपने मेरे,कुल को कन्या दान किया। धूमधाम से मैने भी ,दोनों कुल का सम्मान किया।।धर्म समझकर हम दोनों ने जोड़ा जूड़ी-ताप को....... तुमने एक छछूंदर पाली मैंने पाला सांप को।।1।।आपकी बेटी,बहू मेरी,निज धर्म का पालन करती है। वहां झगड़ती थी भावज से,यहां ननद से लड़ती है।।सास-ससुर को यूं चाहे,ज्यूं सुख … [Read more...]