Munawwar Rana Maa Shayari With Images, Pictures, Photos, Wallpaper, मुनव्वर राना सचित्र शायरी ***** लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती Munawwar Rana Maa Shayari Images ***** मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना Munawwar Rana Maa Shayari Pictures ***** अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की ‘राना’ माँ की … [Read more...]
Munawwar Rana- Meri Mutthi Se Ye Balu Sarak Jane Ko Kehti Hai | मुनव्वर राना- मेरी मुट्ठी से ये बालू सरक जाने को कहती है
***** Meri Mutthi Se Ye Balu Sarak Jane Ko Kehti Hai Meri mutthii se ye baalu sarak jaane ko kehti hai Ye zindagii bhii mujhse ab thak jaane ko kehti hai Main apni ladkhdaahat se pareshaan hoon magar poti Meri ungalii pakad ke door tak jaane ko kehti hai Jise hum odh ke nikale the aagaaze jawaani mein Wo chaadar zindagii ki ab masak jaane ko kehti hai Kahani zindagii ki kya sunaaye ahale … [Read more...]
Munawwar Rana- Ye Hijr Ka Rasta Hai Dhalaanein Nahin Hoti | मुनव्वर राना- ये हिज्र का रस्ता है ढलानें नहीं होतीं
Munawwar Rana ***** ये हिज्र का रस्ता है ढलानें नहीं होतीं ये हिज्र का रस्ता है ढलानें नहीं होतीं सहरा में चराग़ों की दुकानें नहीं होतीं ख़ुश्बू का ये झोंका अभी आया है उधर से किस ने कहा सहरा में अज़ानें नहीं होतीं क्या मरते हुए लोग ये इंसान नहीं हैं क्या हँसते हुए फूलों में जानें नहीं होतीं अब कोई ग़ज़ल-चेहरा दिखाई नहीं देता अब शहर में अबरू की कमानें नहीं होतीं इन पर किसी मौसम का असर … [Read more...]
Munawwar Rana- Wo Ghazal Padhne Mein Lagta Bhi Ghazal Jaisa Tha| मुनव्वर राना- वो ग़ज़ल पढने में लगता भी ग़ज़ल जैसा था
***** वो ग़ज़ल पढने में लगता भी ग़ज़ल जैसा था वो ग़ज़ल पढने में लगता भी ग़ज़ल जैसा था, सिर्फ़ ग़ज़लें नहीं, लहजा भी ग़ज़ल जैसा था ! वक़्त ने चेहरे को बख़्शी हैं ख़राशें वरना, कुछ दिनों पहले ये चेहरा भी ग़ज़ल जैसा था ! तुमसे बिछडा तो पसन्द आ गयी बेतरतीबी, इससे पहले मेरा कमरा भी ग़ज़ल जैसा था ! कोई मौसम भी बिछड कर हमें अच्छा ना लगा, वैसे पानी का बरसना भी ग़ज़ल जैसा था ! नीम का पेड था, बरसात भी और झूला था, गांव … [Read more...]
Munawwar Rana – Khud Apane Hi Hathon Ka Likha Kaat Raha Hoon | मुनव्वर राना – ख़ुद अपने ही हाथों का लिखा काट रहा हूँ
***** ख़ुद अपने ही हाथों का लिखा काट रहा हूँ ख़ुद अपने ही हाथों का लिखा काट रहा हूँ ले देख ले दुनिया मैं पता काट रहा हूँ ये बात मुझे देर से मा'लूम हुई है ज़िंदाँ है ये दुनिया मैं सज़ा काट रहा हूँ दुनिया मिरे सज्दे को इबादत न समझना पेशानी पे क़िस्मत का लिखा काट रहा हूँ अब आप की मर्ज़ी है इसे जो भी समझिए लेकिन मैं इशारे से हवा काट रहा हूँ तू ने जो सज़ा दी थी जवानी के दिनों में मैं उम्र की … [Read more...]
Munawwar Rana – Bhula Pana Bahut Mushkil Hai Sab Kuch Yaad Rahta Hai | मुनव्वर राना – भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है
Munawwar Rana ***** भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है अगर सोने के पिंजड़े में भी रहता है तो क़ैदी है परिंदा तो वही होता है जो आज़ाद रहता है चमन में घूमने फिरने के कुछ आदाब होते हैं उधर हरगिज़ नहीं जाना उधर सय्याद रहता है लिपट जाती है सारे रास्तों की याद बचपन में जिधर से भी गुज़रता हूँ मैं रस्ता … [Read more...]
Munawwar Rana – Badshahon Ko Sikhaya Hai Qalandar Hona | मुनव्वर राना – बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना
Munawwar Rana ***** बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना बादशाहों को सिखाया है क़लंदर* होना आप आसान समझते हैं मुनव्वर होना एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना सिर्फ़ बच्चों की मोहब्बत ने क़दम रोक लिए वर्ना आसान था मेरे लिए बे-घर होना हम को मा'लूम है शोहरत की बुलंदी हम ने क़ब्र की मिट्टी का देखा है बराबर होना इस को क़िस्मत की ख़राबी ही कहा जाएगा आप का … [Read more...]
Munawwar Rana – Acchi se acchi aab-o-hawa ke bagair bhi | मुनव्वर राना – अच्छी से अच्छी आब-ओ-हवा के बग़ैर भी
***** अच्छी से अच्छी आब-ओ-हवा के बग़ैर भी अच्छी से अच्छी आब-ओ-हवा के बग़ैर भी ज़िंदा हैं कितने लोग दवा के बग़ैर भी साँसों का कारोबार बदन की ज़रूरतें सब कुछ तो चल रहा है दुआ के बग़ैर भी बरसों से इस मकान में रहते हैं चंद लोग इक दूसरे के साथ वफ़ा के बग़ैर भी अब ज़िंदगी का कोई भरोसा नहीं रहा मरने लगे हैं लोग क़ज़ा के बग़ैर भी हम बे-क़ुसूर लोग भी दिलचस्प लोग हैं शर्मिंदा हो रहे हैं ख़ता के … [Read more...]
Munawwar Rana – Chale Maqtal Ki Jaanib Aur Chhati Khol Di Hum Ne | मुनव्वर राना – चले मक़्तल की जानिब और छाती खोल दी हम ने
Munawwar Rana ***** चले मक़्तल की जानिब और छाती खोल दी हम ने चले मक़्तल की जानिब और छाती खोल दी हम ने बढ़ाने पर पतंग आए तो चर्ख़ी खोल दी हम ने पड़ा रहने दो अपने बोरिए पर हम फ़क़ीरों को फटी रह जाएँगी आँखें जो मुट्ठी खोल दी हम ने कहाँ तक बोझ बैसाखी का सारी ज़िंदगी ढोते उतरते ही कुएँ में आज रस्सी खोल दी हम ने फ़रिश्तो तुम कहाँ तक नामा-ए-आमाल देखोगे चलो ये नेकियाँ गिन लो कि गठरी खोल दी हम … [Read more...]
Munawwar Rana – Maa (Complete Book), मुनव्वर राना – माँ (सम्पूर्ण किताब)
हर उस बेटे के नाम जिसे माँ याद है इस किताब की बिक्री से हासिल की गई तमाम आमदनी “माँ फ़ाउण्डेशन” की ओर से ज़रूरतमन्दों की इमदाद के लिए ख़र्च की जाएगी। –मुनव्वर राना इस किताब में जनाब मुनव्वर राना ने अपने 300 से भी अधिक शेर का संकलन किया है जो की एक औरत के विभिन्न रूप जैसे की माँ, बहन, पत्नी, बेटी आदि पर लिखे गए है। हमने इस सम्पूर्ण किताब को यहाँ आप लोगों के लिए उपलब्ध कराया … [Read more...]