Mirza Ghalib (मिर्ज़ा ग़ालिब) Mirza Ghalib 2 Line Shayari Part - 7 ***** 61 इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया वर्ना हम भी आदमी थे काम के Ishq ne 'Ghalib' nikamma kar diya Warna ham bhi aadmi the kaam ke **** 62 इशरत-ए-क़तरा* है दरिया में फ़ना हो जाना दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना इशरत-ए-क़तरा = बूंद का सुख Ishrat-e-qatra hai dariya mein fana ho jaana Dard ka had se gujarna … [Read more...]
Mirza Ghalib Famous Sher Part – 6 (मिर्ज़ा ग़ालिब प्रसिद्ध शेर पार्ट -6)
Mirza Ghalib (मिर्ज़ा ग़ालिब) Mirza Ghalib Famous Sher Part - 6 ***** 51 हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले Hazaron khwaahishein aisi ki har khwaahish par dam nikale Bahut nikale mere armaan lekin phir bhi kam nikale ***** 52 हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन दिल को ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है Ham ko maaloom hai … [Read more...]
Mirza Ghalib Couplets Part – 5 (मिर्ज़ा ग़ालिब कप्लेट्स पार्ट – 5)
Mirza Ghalib (मिर्ज़ा ग़ालिब) Mirza Ghalib Couplets Part - 5 ***** 41 नींद उस की है दिमाग़ उस का है रातें उस की हैं तेरी ज़ुल्फ़ें जिस के बाज़ू पर परेशाँ* हो गईं परेशाँ = छितराना, Neend us ki hai dimag us ka hai raatein us ki hain teri julfein jis ke baajoo par pareshan ho gai ***** 42 मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले Mohabbat … [Read more...]
Mirza Ghalib Prasidh Sher Part – 4 (मिर्ज़ा ग़ालिब प्रसिद्ध शेर पार्ट – 4)
Mirza Ghalib (मिर्ज़ा ग़ालिब) Mirza Ghalib Prasidh Sher Part - 4 ***** 31 रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल जब आँख से ही न टपका तो फिर लहू क्या है Ragon mein daudte firne ke ham nahin kaayil Jab aankh se hi na tapka to phir lahoo kya hai ***** 32 क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन Karz ki peete the may lekin samjhte the ki haan rang … [Read more...]
Mirza Ghalib Ashaar Part – 3 (मिर्ज़ा ग़ालिब अशआर पार्ट – 3)
Mirza Ghalib (मिर्ज़ा ग़ालिब) Mirza Ghalib Ashaar Part - 3 ***** 21 तिरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए'तिबार होता Tire waade par jiye ham to ye jaan jhut jaana Ki khushi se mar na jaate agar etibaar hota ***** 22 रेख़्ते* के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो 'ग़ालिब' कहते हैं अगले ज़माने में कोई 'मीर' भी था * रेख्ते = उर्दू भाषा का पुराना नाम Rekhte ke umhin … [Read more...]
Mirza Ghalib Best Shayari Part – 2 (मिर्ज़ा ग़ालिब प्रसिद्ध शायरी – पार्ट 2)
Mirza Ghalib (मिर्ज़ा ग़ालिब) Mirza Ghalib Best Shayari Part - 2 ***** 11 ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार* होता अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता * विसाल-ए-यार = प्रेमी से मिलन Ye na thi hamari kismat ki visaal-e-yaar hota Agar aur jeete rehate yahi intizaar hota ***** 12 छोड़ा न रश्क* ने कि तिरे घर का नाम लूँ हर इक से पूछता हूँ कि जाऊँ किधर को मैं रश्क = ईर्ष्या Chhoda na … [Read more...]
Mirza Ghalib Shayari – Part 1 (मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – पार्ट 1)
Mirza Ghalib (मिर्ज़ा ग़ालिब) उर्दू के सबसे महान और सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले शायर। Mirza Ghalib Shayari - Part 1 ***** 1 बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना Bas ki dushwaar hai har kaam ka aasaan hona Aadami ko bhi mayssar nahin insaan hona ***** 2 अपनी गली में मुझ को न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल मेरे पते से ख़ल्क़* को क्यूँ तेरा घर मिले खल्क = … [Read more...]