Manav Bastiya - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचनाओं का संग्रह 'मानव बस्तियां'मानव बस्तियां (Manav Bastiya)हाल बुरे, बढ रही है सख्तियां बंद दुकाने, लग रही तख्तियांपसरा सन्नाटा चारो ओर बसदिखे बस लाल - नीली बत्तियांउजड गए महकते बगीचे कई जाने आएगी कब नई पत्तियांबचकर निकलना तुम भीड से गलतफहमी से मिटी हस्तियांकोरोना वॉरियर तैयार फिर से हो चाहे कठिन ये परिस्थितियांरहना है सजग - सतर्क 'कमल'बची … [Read more...]
‘नील वर्ण’ और ‘एक मुक्तक’- मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Kavya Rachna In Hindi - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'नील वर्ण' और 'एक मुक्तक'नील वर्णनीले नयन,नीले वसन,उस पर नीली चुड़ियाँ|लाल अधर,लाल दुपट्टा,ललाट लाल बिंदिया|चेहरा उदास,मिलन प्यास,कानों में झुले झुमकियां|चिन्तन मन,करती मनन,कैसे मिटेगी दूरियाँ?मनीष नंदवाना 'चित्रकार'राजसमन्दएक मुक्तकधरा पर स्वर्ग की परी सी लगती हैं|घास पर ओस की बूंद सी लगती हैं|चिन्तन मनन में मग्न हैं तू इस … [Read more...]
‘गोमती का नीर’- मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Gomati Ka Neer Kavya Rachna In Hindi - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'गोमती का नीर'जय जय राजसमंद - कमलेश जोशी 'कमल''गोमती का नीर' (Gomati Ka Neer)गोमती का नीर नीर|आता नौ चौकी के तीर|तृण तृण कण कण|श्रृंगार ये कराता हैं|1|जन जन हर मन|हरता हैं पीर पीर|पर्वतों की काया|हरी भरी कर जाता हैं|2|बादलों की बूंद बूंद|झरती हैं झर झर|झील का आंचल|समुंद्र सा लहराता हैं|3|लहरें भी उठ उठ|गिरती … [Read more...]
हम दीवाने रहे हैं – कमलेश जोशी ‘कमल’
Hum Deewane Rahe Hai Poem In Hindi - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'हम दीवाने रहे हैं'खयालात उनके कुछ पुराने रहे हैं अपने हो कर भी वह बेगाने रहे हैंदिल्लगी रखी मानकर जिसे अपना उन्ही के तीरों के हम निशाने रहे हैंसमय का पहिया चलता रहा सदा वक्त संग बदलते यूंही जमाने रहे हैंतुम कब मतलबी हो गए थे दोस्त साथ तेरे तो कितने अफसाने रहे हैंहुनर ठगने का नया चलन मे आज कला के कितने वरना घराने रहे … [Read more...]
‘नींव के पत्थर’ – कमलेश जोशी ‘कमल’
Neev Ke Patthar Poem In Hindi - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'नींव के पत्थर'नींव के पत्थर (Neev Ke Patthar)कंगुरे आसमान मे चढ कर छा जाते हैं नींव के पत्थर नींव मे दबे रह जाते हैंआभूषण की तारीफ खूब पाता जौहरीकीमत कुछ पा कारीगर ठगे रह जाते हैंखून पसीना बहा के अन्न उगाता किसान बिचोलिये मुनाफा पाकर मजे लूट जाते हैंवोट कीमती देकर चुना जनता ने जिसे जीतकर वो नेता जाने कहां रह जाते हैंचक्कर … [Read more...]