Manav Bastiya - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचनाओं का संग्रह 'मानव बस्तियां'मानव बस्तियां (Manav Bastiya)हाल बुरे, बढ रही है सख्तियां बंद दुकाने, लग रही तख्तियांपसरा सन्नाटा चारो ओर बसदिखे बस लाल - नीली बत्तियांउजड गए महकते बगीचे कई जाने आएगी कब नई पत्तियांबचकर निकलना तुम भीड से गलतफहमी से मिटी हस्तियांकोरोना वॉरियर तैयार फिर से हो चाहे कठिन ये परिस्थितियांरहना है सजग - सतर्क 'कमल'बची … [Read more...]
देश देश से आई बहती – कमलेश जोशी ‘कमल’
Desh Desh Se Aayi Bahti Poem In Hindi - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'देश देश से आई बहती'देश देश से आई बहतीदेश देश से आई बहती इन धाराओं का संगम देखो किसने पिरोये सुंदर मोती इन पलों का सृजन देखोअद्भुत ये मंच सजा है देखो कितना दृश्य मनोहर पुलकित प्रसन्न हर मुख आगत भविष्य की धरोहरआतुर सब कहने को अपने मन की अभिव्यक्तिकितनी गहरी बातों को कहने की जिनमे है शक्तिहर एक अपने मे अलग हर एक, हर एक … [Read more...]
हम दीवाने रहे हैं – कमलेश जोशी ‘कमल’
Hum Deewane Rahe Hai Poem In Hindi - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'हम दीवाने रहे हैं'खयालात उनके कुछ पुराने रहे हैं अपने हो कर भी वह बेगाने रहे हैंदिल्लगी रखी मानकर जिसे अपना उन्ही के तीरों के हम निशाने रहे हैंसमय का पहिया चलता रहा सदा वक्त संग बदलते यूंही जमाने रहे हैंतुम कब मतलबी हो गए थे दोस्त साथ तेरे तो कितने अफसाने रहे हैंहुनर ठगने का नया चलन मे आज कला के कितने वरना घराने रहे … [Read more...]
‘नींव के पत्थर’ – कमलेश जोशी ‘कमल’
Neev Ke Patthar Poem In Hindi - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'नींव के पत्थर'नींव के पत्थर (Neev Ke Patthar)कंगुरे आसमान मे चढ कर छा जाते हैं नींव के पत्थर नींव मे दबे रह जाते हैंआभूषण की तारीफ खूब पाता जौहरीकीमत कुछ पा कारीगर ठगे रह जाते हैंखून पसीना बहा के अन्न उगाता किसान बिचोलिये मुनाफा पाकर मजे लूट जाते हैंवोट कीमती देकर चुना जनता ने जिसे जीतकर वो नेता जाने कहां रह जाते हैंचक्कर … [Read more...]
‘हम देखते रहें’ – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Hum Dekhte Rahe Poem In Hindi - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'हम देखते रहें''हम देखते रहें' (Hum Dekhte Rahe)झुकी हुई पलकें हम देखते रहें|सिर झुका के चले हम देखते रहें|1|जुल्फें बिखरी हवा ने चेहरे पे आ गई|चांद पर बादलों का डेरा हम देखते रहें|2|नीले परिधान पर मटमैला दुपट्टा|चेहरे को ढकता रहा हम देखते रहें|3|नीलम मोती की अंगुठी पहनी जो आपने|जैसे झील में मीन हम देखते रहें|4|मन के … [Read more...]
‘जैसे घुंघरू बजते हो’- मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Jaise Ghunghru Bajte Ho - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित कविता 'जैसे घुंघरू बजते हो' 'जैसे घुंघरू बजते हो' (Jaise Ghunghru Bajte Ho)बादल ने बूंदें बरसाई|धरती ने श्रृंगार किया|बयार मधुर स्वर हो चली|जैसे घुंघरू बजते हो|1|कली कली खिल गई|फूल फूल महक गयें|मधुप गुंजन कर रहा|जैसे घुंघरू बजते हो|2|निर्झर झर झर झरता जल|कल कल पल पल नदियां का जल|निर्झर सरिता का बहता जल|जैसे घुंघरू बजते … [Read more...]
मुर्दों में ईमान नहीं आने वाला – आचार्य डा. अजय दीक्षित
मुर्दों में ईमान नहीं आने वाला (Murdo Mein Imaan Nahi Aane Wala)*****मुर्दों में ईमान नहीं आने वाला। इन्सां आलीशान नहीं आने वाला ।।अपनी नैया अपने हाथों पार करो । अब कोई भगवान नहीं आने वाला ।।इसे ढ़हा दो यह कमरा अति जर्जर है अब इसमें मेहमान नहीं आने वाला ।।एक महासागर था यारों सूख गया । अब कोई तूफ़ान नहीं आने वाला।।फूल कमल का कीचड़ में ही खिलता है । इसके लिए गुलदान नहीं आने वाला ।।" अजय" जलेगी काया … [Read more...]