ग़ज़ल - तो देखते (To Dekhte)तो देखते (To Dekhte)उनकी अदाएँ उनके मोहल्ले में चलते तो देखते,वो भी कभी यूँ मेरे क़स्बे से गुज़रते तो देखते।बस दीद की उनकी ख़ाहिश लेकर भटकता हूँ शहर में,लेकिन कभी तो वह भी राह गली में दिखते तो देखते।केवल बहाना है यह मेरा चाय पीना उस चौक पे,सौदा-सुलफ़ लेने वह भी घर से निकलते तो देखते।हर रोज़ उनको बिन देखे ही लौट आने के बाद मैं,अफ़सोस करता हूँ कि थोड़ा और ठहरते तो देखते।मैं बा-अदब … [Read more...]
पुष्प वाटिका में सीया राम – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Pushp Vatika Me Siyarama Kavya Rachna In Hindi - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'पुष्प वाटिका में सीया राम'Ram Navami Shayari | राम नवमी शायरीश्रीराम सुमिरणपुष्प वाटिका में सीया राम (Pushp Vatika Me Siyarama)पुष्प वाटिका में राम आएंसंग में अपने लखन को लाएंराम की सूरत सीया ने देखीदेख के तन मन सुध बुध खो दीमोहिनी मूरत नैना विशाल हैंमंद समीर सी चाल ढाल हैंमंयक मुख में राजीव नयन … [Read more...]
‘नील वर्ण’ और ‘एक मुक्तक’- मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Kavya Rachna In Hindi - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'नील वर्ण' और 'एक मुक्तक'नील वर्णनीले नयन,नीले वसन,उस पर नीली चुड़ियाँ|लाल अधर,लाल दुपट्टा,ललाट लाल बिंदिया|चेहरा उदास,मिलन प्यास,कानों में झुले झुमकियां|चिन्तन मन,करती मनन,कैसे मिटेगी दूरियाँ?मनीष नंदवाना 'चित्रकार'राजसमन्दएक मुक्तकधरा पर स्वर्ग की परी सी लगती हैं|घास पर ओस की बूंद सी लगती हैं|चिन्तन मनन में मग्न हैं तू इस … [Read more...]
सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम -अमित राज श्रीवास्तव
ग़ज़ल - सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम (Suno To Mujhe Bhi Jara Tum)सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम (Suno To Mujhe Bhi Jara Tum)सुनो तो मुझे भी ज़रा तुमबनो तो मिरी शोअरा तुमये सोना ये चाँदी ये हीराहै खोटा मगर हो खरा तुमतिरा ज़िक्र हर बज़्म में हैसभी ज़िक्र से मावरा तुममिरी कुछ ग़ज़ल तुम कहो अबख़बर है हो नुक्ता-सरा तुममिलो भी कभी घर पे मेरेकरो चाय पर मशवरा तुमथी ये दोस्ती कल तलक ही,हो अब 'अर्श' की दिलबरा तुम।- अमित राज … [Read more...]
ग़ज़ल – इश्क़ से गर यूँ डर गए होते
ग़ज़ल - इश्क़ से गर यूँ डर गए होते (Ishq Se Gar Yun Dar Gaye Hote)ग़ज़ल इश्क़ से गर यूँ डर गए होतेइश्क़ से गर यूँ डर गए होते,छोड़ कर यह शहर गए होते।मिल गए हमसफ़र से हम वर्ना,आज तन्हा किधर गए होते।होश है इश्क़ में ज़रूरी अब,बे-ख़ुदी में तो मर गए होते।यूँ कभी याद चाय की आती,और हम तेरे घर गए होते।वक़्त मिलता नहीं हमे अब तो,'अर्श' थोड़ा ठहर गए होते।- अमित राज श्रीवास्तव "अर्श" Amit Raj Shrivastava Best … [Read more...]
हम दीवाने रहे हैं – कमलेश जोशी ‘कमल’
Hum Deewane Rahe Hai Poem In Hindi - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'हम दीवाने रहे हैं'खयालात उनके कुछ पुराने रहे हैं अपने हो कर भी वह बेगाने रहे हैंदिल्लगी रखी मानकर जिसे अपना उन्ही के तीरों के हम निशाने रहे हैंसमय का पहिया चलता रहा सदा वक्त संग बदलते यूंही जमाने रहे हैंतुम कब मतलबी हो गए थे दोस्त साथ तेरे तो कितने अफसाने रहे हैंहुनर ठगने का नया चलन मे आज कला के कितने वरना घराने रहे … [Read more...]
‘नींव के पत्थर’ – कमलेश जोशी ‘कमल’
Neev Ke Patthar Poem In Hindi - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'नींव के पत्थर'नींव के पत्थर (Neev Ke Patthar)कंगुरे आसमान मे चढ कर छा जाते हैं नींव के पत्थर नींव मे दबे रह जाते हैंआभूषण की तारीफ खूब पाता जौहरीकीमत कुछ पा कारीगर ठगे रह जाते हैंखून पसीना बहा के अन्न उगाता किसान बिचोलिये मुनाफा पाकर मजे लूट जाते हैंवोट कीमती देकर चुना जनता ने जिसे जीतकर वो नेता जाने कहां रह जाते हैंचक्कर … [Read more...]
स्टेटस की बात है – कमलेश जोशी ‘कमल’
Status Ki Baat Hai Poem In Hindi - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'स्टेटस की बात है'स्टेटस की बात है (Status Ki Baat Hai)थोडा लिखना पडता है स्टेटस की बात है थोडा दिखना पडता है स्टेटस की बात हैथोडा दिखावा कर लेते हैं सबके सामने विनम्र बनना पडता है स्टेटस की बात हैमन मे क्या है, क्यो कहे, बात बिगडेगीअच्छा बनना पडता है स्टेटस की बात हैचाटुकारिता जरूरी, थोडी मिठास साथ जी सर करना पडता है … [Read more...]
परिधान – कमलेश जोशी ‘कमल’
Paridhaan Poem In Hindi - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'परिधान' परिधान (Paridhaan)सुती मखमल रेशमी परिधान रंग रंग के शोभते बहुविधि चढकर मनु अंग अंग केशोभते है नर नारी पहन अंबर इन्द्रधनुषीकाल स्थिति परंपरा से बनते ढंग ढंग केपहचान बनते कभी तो कभी वैभव बहु सोच का पर्याय नाम वस्त्र नव नवरंग केपरंपरा, उत्सव , पर्व पर बहुत चमकते दमकते आभूषण संग कपडे सतरंग केवस्त्र वही सुंदर जो ढकते तन मन को … [Read more...]
वो एक मुद्दत का इश्क़ -अमित राज श्रीवास्तव
कविता- वो एक मुद्दत का इश्क़ (Wo Ek Muddat Ka Ishq)वो एक मुद्दत का इश्क़ बहुत बेचैन होता हूँआपकी हर एक बातों से,इश्क़ भी पनपता हैं कहीं दिल मेंपर एक अजीब विडंबना है।मेरा बेचैन होना, इश्क़ का पनपनामुझे बेवफ़ा बनाती है,उस एक नाकामयाब एक तरफा इश्क़ के प्रति।वो एक मुद्दत का इश्क़।तब नासमझ था कुछ बोल नहीं पायाकि बहुत इश्क़ हैं उससे,आज समझा हूँ कुछ बोल नहीं पाऊँगाकि कुछ नहीं है तुमसे।अब भी चाहत है दिल मेंउस … [Read more...]