Tithi Anusar Aahar Vihar | तिथि अनुसार आहार-विहार : - प्रतिपदा को :-- कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। द्वितीया को :---बृहती (छोटा गन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। तृतीया को:-- परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। चतुर्थी को :--मूली खाने से धन का नाश होता है। पंचमी को:--- बेल खाने से कलंक लगता है। षष्ठी को :---नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच … [Read more...]
सत्ताईस नक्षत्रों के सत्ताईस वृक्ष
Tree According to Nakshatra :- हर नक्षत्र का एक वृक्ष होता है । कोई भी व्यक्ति अपने नक्षत्र के अनुसार वृक्ष की पूजा करके अपने नक्षत्र को ठीक कर सकता है । यदि जन्म नक्षत्र अथवा गोचर के समय कोई नक्षत्र पीड़ित चल रहा हो तब उस नक्षत्र से संबंधित वृक्ष की पूजा करने से पीड़ा से राहत मिलती है । नक्षत्रों से संबंधित वृक्ष Tree According to Nakshatra :- 1-- अश्विनी नक्षत्र का वृक्ष :-- केला, आक, धतूरा … [Read more...]
आखिर ! गुरु से दीक्षा किस मास में लेनी चाहिए ?
आखिर ! गुरु से दीक्षा किस मास में लेनी चाहिए ? ***** चैत्र मास में दीक्षा लेने से :- पूर्ण जीवन दुखों से भर जाता है। ***** बैशाख मास में दीक्षा लेने से :- दीक्षा सर्व सिद्धि प्रदान करती है। ***** ज्येष्ठ मास में दीक्षा लेने से :--कभी भी मृत्यु हो सकती है। ***** अषाढ मास में दीक्षा लेने से:--संतान की प्राप्ति होती है। ***** श्रावण मास में दीक्षा लेने से:-- जीवन भर हानि होती है। ***** भादों मास में … [Read more...]
शिशुपाल की मृत्यु का रहस्य
Shishupal Ka Vadh :- भीष्म जी बोले- भीमसेन! सुनो, चेदिराज दमघोष के कुल में जब यह शिशुपाल उत्पन्न हुआ, उस समय इसके तीन आँखें और चार भुजाएँ थीं। इसने रोने की जगह गदहे के रेंकने की भाँति शब्द किया और जोर जोर से गर्जना भी की। इससे इसके माता-पिता अन्य भाई बन्धुओं सहित भय से थर्रा उठे। इसकी वह विकराल आकृति देख उन्होंने इसे त्याग देने का निश्चिय किया। पत्नी, पुरोहित तथा मन्त्रियों सहित चेदिराज का हृदय … [Read more...]
आचार्य डा.अजय दीक्षित द्वारा रचित “महामृत्युंजय वासुकि नाग स्तोत्र, यंत्र”
Mahamrityunjaya Vasuki Nag Stotra :- नाग देवताओ के अवतारों को सम्बोधन करने के उद्देश्य से रचित इस स्तोत्र में विभिन्न नाग देवताओ के नाम के साथ स्तुति कर भक्त नाग देवों को प्रसन्न करते हैं , क्योंकि यही वो निम्नलिखित नागो के नाम है जो इस पृथ्वी के भार को अपने मणि पर ग्रहण किये हुए है। इसलिये ये हमारा परम् कर्तव्य है की हम नाग देवता को प्रसन्न करें । जीवन है संजीवनी मूल तत्त्व पहचान ।नाग छिहत्तर भर … [Read more...]
प्रथम श्रृष्टि का निर्माण | आचार्य डा.अजय दीक्षित
प्रथम श्रृष्टि का निर्माण | श्री कृष्ण की आज्ञा पाकर ब्रह्मा जी के द्वारा मेदिनी, पर्वत, समुद्र, द्वीप, मर्यादा पर्वत, पाताल, स्वर्ग आदि का निर्माण; कृत्रिम जगत की अनित्यता तथा वैकुण्ठ, शिवलोक तथा गोलोक का निर्माण । भगवान की आज्ञा के अनुसार तपस्या करके अभीष्ट सिद्धि पाकर ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम मधु और कैटभ के मेदे से मेदिनी की सृष्टि की। उन्होंने आठ प्रधान पर्वतों की रचना की। वे सब बड़े मनोहर … [Read more...]
Kubja And Krishna Story | कुब्जा और कृष्ण का अनंत प्रेम
Kubja And Krishna Story In Hindi | कंस की नगरी मथुरा में कुब्जा नाम की स्त्री थी, जो कंस के लिए चन्दन, तिलक तथा फूल इत्यादि का संग्रह किया करती थी। कंस भी उसकी सेवा से अति प्रसन्न था। जब भगवान श्रीकृष्ण कंस वध के उद्देश्य से मथुरा में आये, तब कंस से मुलाकात से पहले उनका साक्षात्कार कुब्जा से होता है। बहुत ही थोड़े लोग थे, जो कुब्जा को जानते थे। उसका नाम कुब्जा इसलिए पड़ा था, क्योंकि वह कुबड़ी … [Read more...]
कलम लिखै तौ यहै लिखै – आचार्य डा.अजय दीक्षित “अजय”
कलम लिखै तौ यहै लिखै जब कलम चलै तौ गुनियन कै अभिमान रहित सम्मान लिखै। सिय राम लखन शत्रुहन भरत कै त्याग तपस्या आन लिखै।। श्री कृष्ण जइस रथवान अउर पारथ सा रथी महान लिखै। ध्वज मा बइठे हनुमान लिखै कुछ कर्णवीर कै दान लिखै।। पोरुष पृथ्वी कै तेज लिखै शुभ शिवा केरि किरपान लिखै। राणा लक्ष्मी झलकारी औ बलभद्र सिंह चौहान लिखै।। जीजा दुर्गा औ कर्मा कै जौहर वाला उपमान लिखै। मीरा तुलसी कबिरा रहीम रसलीन सूर … [Read more...]
ब्रह्म कल्प में श्री कृष्ण द्वारा श्रृष्टि सृजन तथा मोती की उत्पत्ति
मुने! फिर तो श्रीकृष्ण के रोमकूपों से भी उसी क्षण गोपगणों का आविर्भाव हुआ, जो रूप और वेष में भी उन्हीं के समान थे। संख्यावेत्ता महर्षियों का कथन है कि श्रुति में गोलोक के कमनीय मनोहर रूप वाले गोपों की संख्या तीस करोड़ बतायी गयी है। फिर तत्काल ही श्रीकृष्ण के रोमकूपों से नित्य सुस्थिर यौवन वाली गौएँ प्रकट हुईं, जिनके रूप-रंग अनेक प्रकार के थे। बहुतेरे बलीवर्द (साँड़), सुरभि जाति की गौएँ, नाना … [Read more...]
धनतेरस कथा | Dhanteras Katha
Dhanteras Story In Hindi, Dhanteras Ki Kahani, Dhanteras 2019 - 25 October | कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरी का जन्म हुआ था। इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे, तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरी क्योंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। धनतेरस के दिन चाँदी … [Read more...]