समधी का खतमैं शर्मिंदा हूं समधी जी, और कहूँ क्या आपको।तुमने एक छछूंदर पाली, मैंने पाला सांप को।।बड़े भाव से आपने मेरे,कुल को कन्या दान किया। धूमधाम से मैने भी ,दोनों कुल का सम्मान किया।।धर्म समझकर हम दोनों ने जोड़ा जूड़ी-ताप को....... तुमने एक छछूंदर पाली मैंने पाला सांप को।।1।।आपकी बेटी,बहू मेरी,निज धर्म का पालन करती है। वहां झगड़ती थी भावज से,यहां ननद से लड़ती है।।सास-ससुर को यूं चाहे,ज्यूं सुख … [Read more...]
दर्द का इस रूह से रिश्ता पुराना हो गया – आचार्य डा.अजय दीक्षित “अजय”
***** दर्द का इस रूह से रिश्ता पुराना हो गया आज हमको मुस्कुराये भी जमाना हो गया आदमी तो आदमी की जान का प्यासा रहा खेल राजाओं का था सरवन निशाना हो गया किस तरह मक्कारियां करने लगा है आदमी हम गरीबों का लहू उनका खजाना हो गया इश्क के अब नाम से भी डर बहुत लगने लगा हाथ आई बेबशी लेकिन फसाना हो गया अब मदद करना "अजय" अपराध सा होने लगा होम करते हाथों को अपने जलाना हो गया आचार्य डा.अजय दीक्षित … [Read more...]
मुक्तक – आचार्य डा. अजय दीक्षित “अजय”
मुक्तक सम्बन्ध भला वह कैसे हैं जिनमें होता आह्लाद नहीं सम्बन्ध धैर्यता मांगते हैं आतुरता या उन्माद नहीं भावना हृदय से पढो 'अजय" भावना की शिक्षा कोई नही है भाषा का अनुवाद मगर इन भावों का अनुवाद नहीं सम्बन्ध वही अच्छे, जिनमे होता विकार उत्पाद नही सम्बन्धों में हो सहनशक्ति, होते जल्दी बर्बाद नही सम्बन्ध वही जो इक दूजे की व्याकुलता को समझ सके सम्बन्धों में हो प्रेम नशा, प्रभुता का ,,अजय,, … [Read more...]
कलियुग की माया – आचार्य डा.अजय दीक्षित “अजय”
कलियुग की माया | Kalyug Ki Maya (१) धनि कलियुग महराज आप ने लीला अजबदिखाई है । उलटा चलन चला दुनिया में सबकी मति बौराई है । । नीति पंथ उठ गया कचहरी पापन से गरूआई है । धर्म गया पाताल सभी के मन बेधर्मी छाई है । । गुप्त हुए सच्चे वकील झूठों की बात सवाई है । सच्चों की परतीत नही झूठों ने सनद बनाई है । । न्याय छोड अन्याय करें राजों ने नीति गँवाई है । हकदारों का हक्क मेट बेहक पर कलम उठाई है । । जो हैं … [Read more...]
मन हंसता है उर रोता है – आचार्य डा.अजय दीक्षित “अजय”
मन हंसता है उर रोता है | Man Hasta Hai Ur Rota Hai ***** सम्मान रुपी बिष से जब कोई अपनों की इज्जत धोता है । मन हंसता है उर रोता है ।। विग्रह की सत्य भूमी पर ,जब द्वेष बीज कोई बोता है । मन हंसता है उर रोता है ।। बिना परिश्रम उन्नति के, जब स्वप्न कोई सजाता है । मन हंसता है उर रोता है ।। विश्वास का बिष दे करके कोई बिष लगे जो शूल चुभोता है । मन हंसता है उर रोता है ।। जब कौवे को कह दे कोई, ये कौआ नही … [Read more...]
दिल में आग नयन में पानी | Dil Mein Aag Nayan Mein Pani
दिल में आग नयन में पानी | Dil Mein Aag Nayan Mein Pani ***** दिल में आग नयन में पानी जब विनम्र अतिशय विनीत को अपने लोग कहें अभिमानी। तब दिल में आग नयन में पानी।। मैंने जिनको पाठ पढ़ाया वही सुनाते मुझे कहानी। तब दिल में आग नयन में पानी।। पाकर मेरी धरोहर जब वो बन जाते हैं राजा रानी। तब दिल में आग नयन में पानी।। पहने हैं ईमान का चोला करते हैं मुझसे बेइमानी। तब दिल में आग नयन में पानी।। मेरे बिना काम … [Read more...]
Ajay Dixit Shayari | अजय दीक्षित शायरी
Ajay Dixit Shayari | अजय दीक्षित शायरी ***** दिल के हैं शहंशाह पै खाली ये जेब है। शायद हमारी रूह में यह ही कुटैब है। दुनिया में आके देख लिया हमने यह "अजय"; इन्सानियत के नाम पे धोखा फरेब है।। ***** छुपा है दर्द सीने में नहीं हम राज खोलेंगे , तुम्हारी रुह कांपेगी अगर आवाज खोलेंगे ,, वतन की आन पे कुर्बान करके जिंदगी अपनी , "अजय" दिल खोल हिंदुस्तान जिंदाबाद बोलेंगे ,, ***** मेरे अपनों ने मुझे अपने … [Read more...]
मुर्दों में ईमान नहीं आने वाला – आचार्य डा. अजय दीक्षित
मुर्दों में ईमान नहीं आने वाला (Murdo Mein Imaan Nahi Aane Wala)*****मुर्दों में ईमान नहीं आने वाला। इन्सां आलीशान नहीं आने वाला ।।अपनी नैया अपने हाथों पार करो । अब कोई भगवान नहीं आने वाला ।।इसे ढ़हा दो यह कमरा अति जर्जर है अब इसमें मेहमान नहीं आने वाला ।।एक महासागर था यारों सूख गया । अब कोई तूफ़ान नहीं आने वाला।।फूल कमल का कीचड़ में ही खिलता है । इसके लिए गुलदान नहीं आने वाला ।।" अजय" जलेगी काया … [Read more...]
रख्खो उम्मीद दिल के कोने में – आचार्य डा. अजय दीक्षित
रख्खो उम्मीद दिल के कोने में ***** रख्खो उम्मीद दिल के कोने में । वक्त मत खो ये वंदे रोने मैं ।। -- १ -- ऐसे, रिश्तों को तोड न जालिम । जन्म बीते कई संजोने में ।। -- २ -- जला दी तूने फसल पर ये नही सोचा । वक्त कितना लगा था बोने में ।। -- ३ -- तोड मत मोतियों की माला को । वर्ष बीते कई पिरोने में ।। --४ -- संजोये उम्र भर जो हैं सपने। बेच उनको न ओने - पोने में ।। -- ५ -- अगर पाने की चाह है कुछ तो । फिर … [Read more...]
आखिर क्या है ! संसार में माता का स्थान
Maa Importance According To Purana :- भगवान वेदव्यास जी ने बडा मार्मिक चित्रण पुराणों में किया है। मात् देवो भव:पितृ देवो भव: 1 पितुरप्यधिका माता गर्भधारणपोषणात् । अतो हि त्रिषु लोकेषु नास्ति मातृसमो गुरुः॥ गर्भ को धारण करने और पालनपोषण करने के कारण माता का स्थान पिता से भी बढकर है। इसलिए तीनों लोकों में माता के समान कोई गुरु नहीं अर्थात् माता परमगुरु है! 2 नास्ति गङ्गासमं तीर्थं नास्ति विष्णुसमः … [Read more...]