Amir Minai (अमीर मीनाई) Chand Ashaar by Amir Minai Part - 6 ***** 51 ये भी इक बात है अदावत की रोज़ा रक्खा जो हम ने दावत की (अदावत = दुश्मनी) Ye bhi ik baat hai adaawat ki Roza rakha jo ham ne daawat ki ***** 52 फिर बैठे बैठे वादा-ए-वस्ल उस ने कर लिया फिर उठ खड़ा हुआ वही रोग इंतिज़ार का (वादा-ए-वस्ल = मिलन का वादा) Phir baithe baithe waada-e-wasl us ne kar liya Phir uth khada … [Read more...]
Amir Minai Golden Shayari Part – 5 (अमीर मीनाई की गोल्डन शायरी भाग – 5)
Amir Minai (अमीर मीनाई) Amir Minai Golden Shayari Part - 5 ***** 41 वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर दिन गिने जाते थे इस दिन के लिए (वस्ल = मिलन; मुख़्तसर = छोटा) Wasl ka din aur itna mukhtsar Din gine jaate the is din ke liye ***** 42 वस्ल में ख़ाली हुई ग़ैर से महफ़िल तो क्या शर्म भी जाए तो मैं जानूँ कि तन्हाई हुई (वस्ल = मिलन) Wasl mein khaali hui gair se mahphil to kya Shrm … [Read more...]
Amir Minai Famous Shayari Part – 4 ((अमीर मीनाई की प्रसिद्ध शायरी भाग – 4)
Amir Minai (अमीर मीनाई) Amir Minai Famous Shayari Part - 4 ***** 31 इलाही क्या क़यामत है वो जब लेते हैं अंगड़ाई मिरे ज़ख़्मों के सब टाँके अचानक टूट जाते हैं Ilaahi kya qyaamat hai wo jab lete hain angdaai Mire zakhmon ke sab taanke achaanak toot jaate hain ***** 32 उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ ढूंढने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ Us ki hasrat hai jise dil se mita bhi na … [Read more...]
Best Sher of Amir Minai Part- 3 (अमीर मीनाई के बेस्ट शेर भाग – 3)
Amir Minai (अमीर मीनाई) Best Sher of Amir Minai Part- 3 ***** 21 सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता निकलता आ रहा है आफ़्ताब आहिस्ता आहिस्ता (रुख = चेहरा; आफ़्ताब = सूरज) Srakti jaaye hai rukh se naqaab aahista aahista Nikalta aa raha hai aaftaab aahista aahista ***** 22 थके मुद्दतों राह में जिनकी चलकर वो दर तक भी आये न घर से निकलकर (दर = दहलीज, दरवाजा, द्वार) Thake … [Read more...]
Amir Minai Two Line Shayari Part – 2 (अमीर मीनाई टू लाइन शायरी भाग – 2)
Amir Minai (अमीर मीनाई) Amir Minai Two Line Shayari Part - 2 ***** 11 गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है अमीर क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना (गाहे गाहे = कभी-कभी) Gaahe gaahe ki mulaqat hi achhi hai Amir Kadr kho deta hai har roz ka aana jaana ***** 12 गिरह से कुछ नहीं जाता है पी भी ले ज़ाहिद मिले जो मुफ़्त तो क़ाज़ी को भी हराम नहीं (ज़ाहिद = धार्मिक व्यक्ति) Girah se … [Read more...]
Amir Minai Shayari Part – 1 (अमीर मीनाई की शायरी भाग – 1)
Amir Minai (अमीर मीनाई) Amir Minai Shayari Part - 1 ***** 1 जब तक मिले न थे तो जुदाई का था मलाल अब ये मलाल है कि तमन्ना निकल गई Jab tak mile na the to judaai ka tha malaal Ab ye malaal hai ki tamnna nikal gai ***** 2 हाथ रख कर मेरे सीने पे जिगर थाम लिया तुम ने इस वक़्त तो गिरता हुआ घर थाम लिया Haath rakh kar mere seene pe jigar thaam liya Tum ne is waqt to girta hua ghar thaam … [Read more...]