Kahi Se Mahak Aayi Hai - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित कविता 'कही से महक आई हैं'कही से महक आई हैं (Kahi Se Mahak Aayi Hai)कही से महक आई हैं|लगता है कि तू आई है|दुपट्टा भी लहराने लगा|लगता है हवा आई है|बिजली चमकने लगी है|बूंदें बरसने लगी हैं|शीतल पवन बह चली|तुने जुल्फें बिखराई हैं|चांद चमकने लगा है|उजाला होने लगा है|चांदनी खिलने लगी|चेहरे से जुल्फें हटाई हैं|खिड़कियां खुलने लगी हैं|धूल … [Read more...]