ग़ज़ल - इक लगन तिरे शहर में जाने की लगी हुई थी (Ik Lagan Tire Shahar Me Jane Ki Lagi Hui Thi)अमित राज श्रीवास्तव की ग़ज़लों से 10 बेहतरीन शायरीग़ज़ल इक लगन तिरे शहर में जाने की लगी हुई थीइक लगन तिरे शहर में जाने की लगी हुई थी,आज जा के देखा मुहब्बत कितनी बची हुई थी।आपसे जहाँ बात फिर मिलने की कभी हुई थी,आज मैं देखा गर्द उन वादों पर जमी हुई थी।लग रही थी हर रहगुज़र वीराँ हम जहाँ मिले थे,सिर्फ़ ख़ूब-रू एक … [Read more...]
ग़ज़ल – तो देखते (To Dekhte) – अमित राज श्रीवास्तव ‘अर्श’
ग़ज़ल - तो देखते (To Dekhte)तो देखते (To Dekhte)उनकी अदाएँ उनके मोहल्ले में चलते तो देखते,वो भी कभी यूँ मेरे क़स्बे से गुज़रते तो देखते।बस दीद की उनकी ख़ाहिश लेकर भटकता हूँ शहर में,लेकिन कभी तो वह भी राह गली में दिखते तो देखते।केवल बहाना है यह मेरा चाय पीना उस चौक पे,सौदा-सुलफ़ लेने वह भी घर से निकलते तो देखते।हर रोज़ उनको बिन देखे ही लौट आने के बाद मैं,अफ़सोस करता हूँ कि थोड़ा और ठहरते तो देखते।मैं बा-अदब … [Read more...]
पुष्प वाटिका में सीया राम – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Pushp Vatika Me Siyarama Kavya Rachna In Hindi - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'पुष्प वाटिका में सीया राम'Ram Navami Shayari | राम नवमी शायरीश्रीराम सुमिरणपुष्प वाटिका में सीया राम (Pushp Vatika Me Siyarama)पुष्प वाटिका में राम आएंसंग में अपने लखन को लाएंराम की सूरत सीया ने देखीदेख के तन मन सुध बुध खो दीमोहिनी मूरत नैना विशाल हैंमंद समीर सी चाल ढाल हैंमंयक मुख में राजीव नयन … [Read more...]
सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम -अमित राज श्रीवास्तव
ग़ज़ल - सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम (Suno To Mujhe Bhi Jara Tum)सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम (Suno To Mujhe Bhi Jara Tum)सुनो तो मुझे भी ज़रा तुमबनो तो मिरी शोअरा तुमये सोना ये चाँदी ये हीराहै खोटा मगर हो खरा तुमतिरा ज़िक्र हर बज़्म में हैसभी ज़िक्र से मावरा तुममिरी कुछ ग़ज़ल तुम कहो अबख़बर है हो नुक्ता-सरा तुममिलो भी कभी घर पे मेरेकरो चाय पर मशवरा तुमथी ये दोस्ती कल तलक ही,हो अब 'अर्श' की दिलबरा तुम।- अमित राज … [Read more...]
ग़ज़ल – इश्क़ से गर यूँ डर गए होते
ग़ज़ल - इश्क़ से गर यूँ डर गए होते (Ishq Se Gar Yun Dar Gaye Hote)ग़ज़ल इश्क़ से गर यूँ डर गए होतेइश्क़ से गर यूँ डर गए होते,छोड़ कर यह शहर गए होते।मिल गए हमसफ़र से हम वर्ना,आज तन्हा किधर गए होते।होश है इश्क़ में ज़रूरी अब,बे-ख़ुदी में तो मर गए होते।यूँ कभी याद चाय की आती,और हम तेरे घर गए होते।वक़्त मिलता नहीं हमे अब तो,'अर्श' थोड़ा ठहर गए होते।- अमित राज श्रीवास्तव "अर्श" Amit Raj Shrivastava Best … [Read more...]
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित रचनाओं का संग्रह
Kavya Rachna Sangrah In Hindi - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित रचनाओं का संग्रह-मनीष नंदवाना जी का जीवन परिचय -नाम - मनीष नंदवानाकवि नाम - मनीष नंदवाना 'चित्रकार'जन्म - 5 / 7 / 1980पिता - ईश्वर लाल जी नंदवानापता - नंदवाना वास राजनगर,जिला - राजसमंद ( राज. )शैक्षणिक योग्यता - एम. ए., बी एड़रुचि - लेखन,चित्रकला, संगीत सुननासाहित्यिक विधाओं में लेखन - कविता, गीत, ग़ज़ल, दोहे, … [Read more...]
समधी का खत – आचार्य डा.अजय दीक्षित “अजय”
समधी का खतमैं शर्मिंदा हूं समधी जी, और कहूँ क्या आपको।तुमने एक छछूंदर पाली, मैंने पाला सांप को।।बड़े भाव से आपने मेरे,कुल को कन्या दान किया। धूमधाम से मैने भी ,दोनों कुल का सम्मान किया।।धर्म समझकर हम दोनों ने जोड़ा जूड़ी-ताप को....... तुमने एक छछूंदर पाली मैंने पाला सांप को।।1।।आपकी बेटी,बहू मेरी,निज धर्म का पालन करती है। वहां झगड़ती थी भावज से,यहां ननद से लड़ती है।।सास-ससुर को यूं चाहे,ज्यूं सुख … [Read more...]
उड़ान से पहले – बस्ती कुम्हारों की Basti kumharon ki
उड़ान से पहले Udaan se Pahle बस्ती कुम्हारों की Basti Kumharon Ki फिर लगा फुटपाथ करवट सा बदलने पीठ सी दिखने लगी चौड़े पठारों की धुंध के बीच से ही सूरज दिखा नींद में ही लिख उठा कुछ अनलिखा टोलियां गा उठी खुलकर कामगांरो की हाथ आए आग वाले सिलसिले मोम से हो गए लोहे के किले जीत जागी धुप वाले घुड़सवारों की भोर आई रात से लड़कर नई अभी लड़ने को पड़ी राते कई दिये फिर गढ़ने लगी बस्ती कुम्हारों … [Read more...]
उड़ान से पहले – भाई बिना तुम्हारे Bhai Bina Tumhare
Bhai Bina Tumhare In Hindi उड़ान से पहले Udaan Se Pahle भाई बिना तुम्हारे Bhai Bina Tumhare दिखे नहीं पर फूल खिला हो जैसे सिरहाने भाई बिना तुम्हारे कैसे लगता है जाने ? मूछें बेतरतीब, सलीका लेकिन जीवन में बारिश बीच धुप होते थे तुम ही सावन में 'अलबम' का हर चित्र तुम्हारा हमको पहचाने जेठ दुपहरी गुलमोहर थे खुलकर खिलते थे अपने को उड़ेल देते थे जिससे मिलते थे याद तुम्हारी, सुने घर में … [Read more...]
दर्द का इस रूह से रिश्ता पुराना हो गया – आचार्य डा.अजय दीक्षित “अजय”
***** दर्द का इस रूह से रिश्ता पुराना हो गया आज हमको मुस्कुराये भी जमाना हो गया आदमी तो आदमी की जान का प्यासा रहा खेल राजाओं का था सरवन निशाना हो गया किस तरह मक्कारियां करने लगा है आदमी हम गरीबों का लहू उनका खजाना हो गया इश्क के अब नाम से भी डर बहुत लगने लगा हाथ आई बेबशी लेकिन फसाना हो गया अब मदद करना "अजय" अपराध सा होने लगा होम करते हाथों को अपने जलाना हो गया आचार्य डा.अजय दीक्षित … [Read more...]