Paridhaan Poem In Hindi – कमलेश जोशी ‘कमल’ राजसमंद द्वारा रचित रचना ‘परिधान’
परिधान (Paridhaan)
सुती मखमल रेशमी परिधान रंग रंग के
शोभते बहुविधि चढकर मनु अंग अंग के
शोभते है नर नारी पहन अंबर इन्द्रधनुषी
काल स्थिति परंपरा से बनते ढंग ढंग के
पहचान बनते कभी तो कभी वैभव बहु
सोच का पर्याय नाम वस्त्र नव नवरंग के
परंपरा, उत्सव , पर्व पर बहुत चमकते
दमकते आभूषण संग कपडे सतरंग के
वस्त्र वही सुंदर जो ढकते तन मन को
वह नही वस्त्र दर्शन जिसमे अंग अंग के
मां का आंचल, घूंघट नारी का सम्मान
पगडी स्वाभिमान सदैव है कुल वंश के
पहनते है मनुज सारे गरीब अमीर भले
लाज,सम्मान, परिचय,वस्त्र रंग रंग के
कमलेश जोशी ‘कमल’
राजसमंद
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