Neev Ke Patthar Poem In Hindi – कमलेश जोशी ‘कमल’ राजसमंद द्वारा रचित रचना ‘नींव के पत्थर’
नींव के पत्थर (Neev Ke Patthar)
कंगुरे आसमान मे चढ कर छा जाते हैं
नींव के पत्थर नींव मे दबे रह जाते हैं
आभूषण की तारीफ खूब पाता जौहरी
कीमत कुछ पा कारीगर ठगे रह जाते हैं
खून पसीना बहा के अन्न उगाता किसान
बिचोलिये मुनाफा पाकर मजे लूट जाते हैं
वोट कीमती देकर चुना जनता ने जिसे
जीतकर वो नेता जाने कहां रह जाते हैं
चक्कर काटती है फाईलें टेबल दर टेबल
जरूरतमंद को चक्कर कितने कटवाते है
मंचो की राजनीति कहीं छिपी नही यहां
रेवडियां अपनो अपनों मे ही बांट आते हैं
कितने ही चाटुकार बिठा लो साथ साथ
काम से ही जगत मे सम्मान सब पाते हैं
जुडता है मतलब से हर शख्स यहां पर
निस्वार्थ सेवा भी कुछ लोग कर जाते हैं
व्यंजनों मे नही घूली होती है वो मिठास
शबरी के बेर मे भी राम सुख बहुत पाते हैं
जीवन समर्पित किया जिसने जग सेवार्थ
दुनिया मे वो कमल नाम अमर कर जाते हैं
कमलेश जोशी ‘कमल’
राजसमंद
- स्टेटस की बात है
- परिधान
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