Krishak Ke Dohe In Hindi – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित रचना ‘कृषक का कर्म’ और ‘कृषक पर दोहें’
पांच दोहें – कृषक का कर्म (Krishak Ka Karm)
सांझ हुई घर को चले,किसान अरु दो बैल|
किरणें गई धूल उड़ी,नभ तारों की वेल||
बैलों को धकेल रहा,ले लकुटी वो हाथ|
खेत रज से सना हुआ,अंग – अंग अरु गात||
खेत में बीज बो दिया,अब बरखा का काम|
सुफल कुफल जो भी मिले,अब ले हरि का नाम||
करवट बदले रैन में,चित्त हुआ बेचैन|
सोच सोच में बित गई,कृषक की सकल रैन||
कर्म किया फल का क्या,जो मिले स्वीकार|
पुन: कर्म हम कर लेंगे,श्रम हमें स्वीकार||
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
कृषक पर दोहें (Krishak Par Dohe)
काले सफेद बैल ये, चले सांझ को धाम|
नींद निकाले चैन से, खूब किया हैं काम||
धूल उड़ाते पैर से, चलते चलते बैल|
बालकों से टहल टहल, खूब खेलते खेल||
हीरा मोती लग रहें, ज्यों गया के बैल|
हरदम साथ साथ रहें, कांजीहौस व जेल||
छोटी बालिका को जब, चुभ गयी थी बात|
खूंटे से रस्सी खोल, भगा दिया उस रात||
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित रचनाओं का संग्रह
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