Tere Karan Hi Ghar Me Hui Thi Deewar Khadi Poem In Hindi – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित रचना ‘तेरे कारण ही घर में हुई थी दीवार खड़ी’
‘तेरे कारण ही घर में हुई थी दीवार खड़ी’
(Tere Karan Hi Ghar Me Hui Thi Deewar Khadi)
तेरे कारण ही घर में
हुई थी दीवार खड़ी
अपनी हर बातों पर
हरदम रहीं तू अड़ी
पहले सबके मन को भांपा
तोलमोल व्यवहार नापा
समय समय पर चाल बदली
सूरत दिखाई अपनी असली
संस्कारों को ताक टांग कर
कुकर्मों में रहीं पड़ी
तेरे कारण ही घर में
हुई थी दीवार खड़ी
पहले तो टी वी मंगवाई
फिर उसमें नजरें गड़ाई
धीरे धीरे कमरे में खाना
कमरे में ही दिन बिताना
जो किसी को पसंद नहीं
काम किया रखी नाक बड़ी
तेरे कारण ही घर में
हुई थी दीवार खड़ी
कभी ना किया किसी का खयाल
बातों बातों में किया बवाल
लड़ने का महौल बनाया
दूसरो पर आरोप लगाया
घर अपना अलग बनाकर
सोयी रहती हैं पड़ी पड़ी
तेरे कारण ही घर में
हुई थी दीवार खड़ी
सुख चैन आराम नहीं हैं
तुझको कोई काम नहीं हैं
बच्चें पति किसी को ना छोड़ा
केवल पियर संग नाता जोड़ा
फिर भी दुनिया रास ना आई
तू तो निकली नक चढ़ी
तेरे कारण ही घर में
हुई थी दीवार खड़ी
प्रेम प्यार से दूर रहीं
अपने में ही चूर रहीं
ससुराल तुझको रास ना आया
किसने तेरा मन भरमाया
अड़ीयल घोड़े की भांति
हरकतों पर रहीं अड़ी
तेरे कारण ही घर में
हुई थी दीवार खड़ी
मैं मैं और सिर्फ मैं हूं
जो कुछ हैं सब कुछ मैं हूं
क्या करना ना करना चाहिए
अपना पेट भरना चाहिए
सजने धजने में व्यस्त रहीं
अपनी सूरत पर मरी पड़ी
तेरे कारण ही घर में
हुई थी दीवार खड़ी
रिश्तों को तू चबा गई
रह रह कर सता गई
जीवन को तू जी ना सकी
हरदम तू रही दु:खी
जितनी भी काटी सबने
उतनी तेरी नाक बढ़ी
तेरे कारण ही घर में
हुई थी दीवार खड़ी
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
राजसमंद
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